इंसान की असली पहचान कर्म से बनती है नाम से नही क्योंकि एक नाम और एक राशि के हजारों लोग है मगर जिंदगी के हर क्षेत्र में पहचान और सफलता मेहनती, लगनशील एवं कर्मवान लोगों को ही मिलती।
कभी-कभी इंसान मन की स्थिति व परिस्थिति मे उलझकर खुद को असहाय महसूस करने लगता है। यदि परिस्थिति बदला सम्भव ना हो तो मन की स्थिति बदल लेनी चाहिए ताकी फिर से नई उर्जा व उमंग के साथ परिस्थितियाँ बदलने का प्रयास किया जा सके।
इंसान कुकर्म और पाप करते समय भयभीत नही होता और ना ही खुद के द्वारा किये गये कुकर्मो और पापों से डरता है, लेकिन वह अपने कुकर्मो और पापों का राज खुल जाने के भय से हमेशा भयभीत रहता।
ज्यादातर लोग पूरी जिंदगी इस बात से ही परेशान रहते है की दूसरों के पास क्या है और कितना है जिसकी वजह से वे खुद के पास क्या है और कितना है वो कभी नही देख पाते।
जो अंदर से कमजोर होता है वह जरा सी विपदा आने पर रेत के महल की तरह ढह जाता है परन्तु जो इंसान अंदर से मजबूत है वह बाहर की हर मुसीबत व पहाड़ सी विपदा को भी सह जाता है।
रिश्ते भी कमाल का रंग दिखाते है जब तक परिवार का व्यक्ति उनके लिए कमाये या काम आये तब तक उसके साथ हद से ज्यादा अपनापन दिखाते हैऔर वृद्ध/ नकारा होने पर वही लोग उसके साथ बे अदबी और बेगानेपन से पेश आते है।