एक अजब कश्मकश में हैं जिंदगी,
जब हम कहते मोहब्बत, तो वो कहते सिर्फ दिल्लगी
दिल उदास था ज़रा और आँखें नम भी हुई
कुछ बातें हुईं ऐसी की आने की खुशी तो बहुत थी
पर जाने का गम नहीं
कुछ सवाल अब भी वैसे ही है, जैसे ठुकरा दिया था तुमने,
पर आज जवाब ढूंढने की कोई तलब नहीं
लहरों के संग बह रही हूँ अब भी,
पर उम्मीद किनारों की अब भी नहीं
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