फ़लसफ़ा आज की दुनिया का
बड़ा साफ़ है,
मुश्किलों से बचने का
खुदगर्ज़ी ही लिहाफ़ है...!!-
ये संसार स्त्रियों में
महानता खोजना चाहता है समानता नही,
क्योंकि समानता में
सब कुछ बराबर बांटा जायेगा,
प्रेम भी,
सम्मान भी और
घर का हर काम भी,
और बात असल ये है कि,
संसार को लेना आसान लगता है,
किसी को कुछ देने से...!!-
मिटा दे अल्फ़ाज़ हमारे दरमियाँ बातों से,
रहने दे वो एहसास जो कभी काफ़ी नही लगतें..!!-
वो अपनी ज़िन्दगी में पूरा होने के बाद भी,
रोज़ मुझमे अपना अधूरापन तलाशता है...!!-
घर अपने भीतर
छिपा लेता है,
संबंधों में आयी हुई
हर कड़वाहट और
हर एक दरार को,
घर मानों जैसे कोई
माँ का आँचल हो,
जो केवल
छाँव देना जानता हो !!-
मुश्किलों से भरें हज़ारों शहरों में,
मेरी उम्मीद का अकेला चेहरा हो तुम,
किताबों में क़ैद लाखों रातों में,
मेरी आजादी का सवेरा हो तुम,
ये तमाम बातें सिर्फ जरिया है,
असल में इन्हीं का इकलौता बसेरा हो तुम...!!-
तुम्हें जिस ख़्वाब की ख़्वाहिश थी,
वो हक़ीक़त में बदल गया,
तुम्हें तुम मिल गए,
हमें हम मिल गया...!!-
एक बेहतर
मनुष्य बनने के लिए,
परोपकारी होने से
ज्यादा महत्वपूर्ण है,
औरों के प्रति संवेदनशील होना...!!-
प्रेम संभावनाएं ढूँढता है,
हर उस पत्ते पर,
हर उस डाल पर जहाँ,
एक घर बनाया जा सकता हो,
जहाँ हर बात और हर पीड़ा को,
खुलकर बताया जा सकता हो,
प्रेम महत्वकांक्षी है बहुत,
और अनाड़ी भी,
समाज के बंधनों से भयभीत नही होता,
परन्तु अपनी आसानी को,
सबसे प्रिय जानता और मानता है,
लगता है जैसे दो छोर पर बंधी,
कोई रस्सी है जिसे हृदय ने पकड़ रखा है,
और उन्हीं दो छोर के बीच,
सारी दुविधा, महत्वकांक्षाएं और द्वंद है,
इसी प्रयास में की,
कोई टहनी कोई घर मिल जाए...!!-