ये संसार स्त्रियों में महानता खोजना चाहता है समानता नही, क्योंकि समानता में सब कुछ बराबर बांटा जायेगा, प्रेम भी, सम्मान भी और घर का हर काम भी, और बात असल ये है कि, संसार को लेना आसान लगता है, किसी को कुछ देने से...!!
प्रेम संभावनाएं ढूँढता है, हर उस पत्ते पर, हर उस डाल पर जहाँ, एक घर बनाया जा सकता हो, जहाँ हर बात और हर पीड़ा को, खुलकर बताया जा सकता हो, प्रेम महत्वकांक्षी है बहुत, और अनाड़ी भी, समाज के बंधनों से भयभीत नही होता, परन्तु अपनी आसानी को, सबसे प्रिय जानता और मानता है, लगता है जैसे दो छोर पर बंधी, कोई रस्सी है जिसे हृदय ने पकड़ रखा है, और उन्हीं दो छोर के बीच, सारी दुविधा, महत्वकांक्षाएं और द्वंद है, इसी प्रयास में की, कोई टहनी कोई घर मिल जाए...!!