ना उनमे इज़हार है ना उनमे इनकार है
फिर भी दोनों में छोटी-छोटी तकरार है
कभी हँसी की रंगोली कभी आँसू के वार हैं
कभी ख़ामोशी की ज़जीरें कभी बातों के हार है
ये क्या राबता है, दो दिलों के दरमियाँ
दोनो की कुछ मजबुरी है फिर भी मिलने को बेकरार है इस रिश्ते को नाम ना दो ये बैनाम ही अच्छा है इसके अलग कायदे है इसका अलग संसार है
"जो रंग गए इन रंगों में बस वहीं ये समझते हैं
की होते हैं पर दिखते नही कुछ रंग प्यार के ऐसे भी"
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