कौन कहता है कि
किस्मत इन्सान खुद लिखता है,
अगर सचमुच है ऐसा तो
अपनी किस्मत में गम कौन लिखता है।-
ये हर रोज़ मेरे साथ क्या अनहोनी हो जाती है....
मेरे ग़म जागते रहते हैं और किस्मत सो जाती है..
हम जबसे बिछड़े हैं, मैं अंधेरों को तरस रहा हूँ,
शब भर दिल जलता है और रोशनी हो जाती है...
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कभी कभी सोचती हूँ किस्मत ने
हमें मिलाया ही क्यों
जब जुदाई भी
किस्मत ने लिख रखी थी।-
Meri Qismat Mein Hai Ek Din Griftaar-e-Wafa Hona,
Mere Chehre Pe Tere Pyaar Ka ilzaam Likha Hai..
Mujhe Maut Aayegi Jab Bhi Tere Pehlu Me Aayegi,
Tere Gam Ne Bahut Achhha Mera Anjaam Likha Hai..-
उसे हम छोड़ दें लेकिन... ❤️
एक छोटी सी उलझन है... ❤️
सुना है दिल से धड़कन की... ❤️
जुदाई मौत होती है.... ❤️-
अपने show off के आड़ में
तुझे मेरा इश्क़ दिखा हीं नहीं
शिकायतें तुझसे नही रब से है
जिसने मेरे किस्मत में इश्क़ लिखा हीं नहीं-
ज़िन्दगी तेरे नाम कर दी,
तू एक एक पल का
हिसाब मांगता है!
जो सवाल है ही नही,
तू उसका भी जवाब
मांगता है!-