तुम्हारे सिवा कुछ सोचूँ भी तो कैसे...इन बढ़ते कदमों को रोकूं भी तो कैसे...ख्वाहिश है तेरी बाहों में गुजरे हर शाम..नादां हसरतों का गला घोटूं भी तो कैसे.. -
तुम्हारे सिवा कुछ सोचूँ भी तो कैसे...इन बढ़ते कदमों को रोकूं भी तो कैसे...ख्वाहिश है तेरी बाहों में गुजरे हर शाम..नादां हसरतों का गला घोटूं भी तो कैसे..
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उजाला धुएं और अंधेरे में बदल रहा है...घर के चिराग़ से ही मेरा घर जल रहा है...धधकता है आँगन, सुलग रहा है हर कोना...छत से उदासी तो दीवारों से खून निकल रहा.. -
उजाला धुएं और अंधेरे में बदल रहा है...घर के चिराग़ से ही मेरा घर जल रहा है...धधकता है आँगन, सुलग रहा है हर कोना...छत से उदासी तो दीवारों से खून निकल रहा..
फिर से जीने की एक वज़ह दे दे...तू अपने दिल मे थोड़ी जगह दे दे...तू आसमाँ है तेरा क्या घट जाएगा.. एक आवारा को तू गर पनाह दे दे... -
फिर से जीने की एक वज़ह दे दे...तू अपने दिल मे थोड़ी जगह दे दे...तू आसमाँ है तेरा क्या घट जाएगा.. एक आवारा को तू गर पनाह दे दे...
सोचता हूँ ये उन दिनों क्या बन गया था मैं...उसकी प्यास देखकर दरिया बन गया था मैं...बाग से जीत लाया था गुलाब एक शाम...कांटों की नजर में बहुत बुरा बन गया था मैं...उस एक पत्थर के लिए कितने दिल तोड़े मैंने...हर रिश्ते हर ताल्लुक़ में बेवफ़ा बन गया था मैं...मयखाना जैसे घर मेरा, घर जैसे मयखाना कोई..बदन से शराब की महक, नशा बन गया था मैं.... -
सोचता हूँ ये उन दिनों क्या बन गया था मैं...उसकी प्यास देखकर दरिया बन गया था मैं...बाग से जीत लाया था गुलाब एक शाम...कांटों की नजर में बहुत बुरा बन गया था मैं...उस एक पत्थर के लिए कितने दिल तोड़े मैंने...हर रिश्ते हर ताल्लुक़ में बेवफ़ा बन गया था मैं...मयखाना जैसे घर मेरा, घर जैसे मयखाना कोई..बदन से शराब की महक, नशा बन गया था मैं....
अब बस बर्बाद कर दो ना तुम....जिस्म को राख कर दो ना तुम....बेड़ियां गला दबा रही हैं अब...मुझको आज़ाद कर दो ना तुम....रोशनी चुभती है आँखों में... सब स्याह रात कर दो ना तुम...कत्ल ये सबको खुदकुशी लगे...कुछ ऐसे हालात कर दो ना तुम.... -
अब बस बर्बाद कर दो ना तुम....जिस्म को राख कर दो ना तुम....बेड़ियां गला दबा रही हैं अब...मुझको आज़ाद कर दो ना तुम....रोशनी चुभती है आँखों में... सब स्याह रात कर दो ना तुम...कत्ल ये सबको खुदकुशी लगे...कुछ ऐसे हालात कर दो ना तुम....
हम हारे हुए लोगों के पास हर मर्ज़ की दवाएँ हैं....हमारे कासे में शराब है कुछ शेर हैं और दुआएँ हैं..... -
हम हारे हुए लोगों के पास हर मर्ज़ की दवाएँ हैं....हमारे कासे में शराब है कुछ शेर हैं और दुआएँ हैं.....
अजल से शौक था वफा का...तभी तो तन्हा हो गया हूँ मैं...मोहब्बतों के सिले ऐसे मिले... बहुत ही बुरा हो गया हूँ मैं... अकेले में मुस्कराता हूँ सोचकर.. ये क्या से क्या हो गया हूँ मैं....ना मंज़िल है ना है हमसफ़र कोई... बिल्कुल आवारा हो गया हूँ मैं... -
अजल से शौक था वफा का...तभी तो तन्हा हो गया हूँ मैं...मोहब्बतों के सिले ऐसे मिले... बहुत ही बुरा हो गया हूँ मैं... अकेले में मुस्कराता हूँ सोचकर.. ये क्या से क्या हो गया हूँ मैं....ना मंज़िल है ना है हमसफ़र कोई... बिल्कुल आवारा हो गया हूँ मैं...
ये मेल बहुत नामुमकिन है समझो मेरा अभिप्राय प्रिये....तुम स्टार बक्स की काफ़ी सी, मैं कुल्हड वाली चाय प्रिये... -
ये मेल बहुत नामुमकिन है समझो मेरा अभिप्राय प्रिये....तुम स्टार बक्स की काफ़ी सी, मैं कुल्हड वाली चाय प्रिये...
इतनी मोहब्बत से ना पिला साकी... ऐसे तो हम ज़रूर मर जायेंगे....हाथ में बोतल कमीज पे तेरी सुर्खी का निशाँ..ऐसी हालत में अब कैसे घर जाएंगे..... -
इतनी मोहब्बत से ना पिला साकी... ऐसे तो हम ज़रूर मर जायेंगे....हाथ में बोतल कमीज पे तेरी सुर्खी का निशाँ..ऐसी हालत में अब कैसे घर जाएंगे.....
गैर की खुशबु तेरे जिस्म से जाती क्यु नहीं...दुआएँ मेरे हक़ में असर दिखाती क्यूँ नहीं...रकीब से मिलकर, हर बार करती हो साज़िश.. तुम मुझे मार तो देती हो, दफनाती क्यूँ नहीं... -
गैर की खुशबु तेरे जिस्म से जाती क्यु नहीं...दुआएँ मेरे हक़ में असर दिखाती क्यूँ नहीं...रकीब से मिलकर, हर बार करती हो साज़िश.. तुम मुझे मार तो देती हो, दफनाती क्यूँ नहीं...