न जाने कब आदत सी बन गई
ये तन्हाईयां चाहत सी बन गई
कमबख्त इंसानों से ज्यादा भरोसेमंद है ये दीवारे
परिस्थितियों पे हंसना तो लोगो की फितरत सी बन गई
ये राज को राज रखतीं है
मजबूरियों का तमाशा बनाना लोगो की हसरत सी बन गई-
I write new idea .
I spread light on the good and bad of the socie... read more
??
तब से तन्हा हूँ
जब कभी अकेले बन्द कमरे में रोया करती थी
और कोई चुप करवाने वाला नहीं था ....
लेकिन तन्हाई का एहसास तब हुआ जब भीड़ में रोयी और कोई चुप करवाने वाला नहीं था !
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लाखों शब्द उत्तेजित थें ,
लेकिन लबों से केवल खामोशी हीं बाहर आई ।
अनेकों शिकायते थीं ,
प्रशंसाओ के आवरण ने उसे छिपाई ।
जब - जब किसी ने पूछा ,कैसी हो ?
अतीव वेदना थी ,
लेकिन अच्छी हूँ ! के आगे कुछ कह न पाई ।-
Who am i ??
आज फिर हक़ीक़त से सामना हुआ
जब सामने वाले ने पूछा, कौन हो तुम ?
लड़की हूँ,
हिन्दू हूँ,
क्षत्रिय हूँ ,
इसकी बेटी हूँ,
उसकी बहन हूँ,
लेकिन कौन हूँ मैं ?
उस कॉलेज की छात्र हूँ,
इस क्लास में पढ़ती हूँ ,
ये करती हूँ ,
यहाँ रहती हूँ ,
लेकिन कौन हूँ मैं?
आख़िर कौन हूँ मैं ??-
इस बार हौसला टूटा नहीं
चकनाचूर हो गया
ख़्वाब जो दिल के क़रीब था
वो आँखों से दूर हो गया
आँखों में नमी नहीं है
और दिल रोने पे मजबूर हो गया
परिस्थितियों से हारी नहीं हूँ मैं
बस ज़िंदगी का ये मोड़ नया है-
मंदिर में दुर्गा के सामने सर झुकाते हो
फिर क्यों सड़कों पे दुर्गा को देख के सिटी बजाते हो-
If the day starts with a smile
then the whole day goes well.
Good morning with a smile
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ख़फ़ा हो गए वो
जो ज़िन्दगी हुआ करते थे
विक्षुब्ध मन फिर भी एक आस लिए बैठा है
ये आस होना भी ज़रूरी है
हताश होना भी ज़रूरी है
आख़िरी दम तक कोशिश करूँगी तुझे मनाने की
क्योंकि तेरा साथ होना भी ज़रूरी है
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यहाँ
सब मतलब से दिल लगाते हैं
वक़त गुजर जाए
फिर नाम तक भूल जाते हैं-
लम्हा तेरी याद का
भूलना मुमकिन नहीं
तू मुझे भूल जाए
इस बात पे यक़ीन नहीं
जब याद आए मेरी
अक्स का दीदार मत करना
मेरी स्मृति से प्यार मत करना
लौट के आऊँगी
लेकिन तुम मेरा इंतज़ार मत करना
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