Raazi Raha karo Khuda ki Raza Me,
Tumse Bhi Bhot Majboor insaan he is Jahaan Me..!!!-
ये दुनिया मेरे समझ से अब अंजान है,
यहां इंसानों के शक्ल में रहते हैवान है...
मसल दी जाती है यहां बेटियां जो इस ज़मीं की शान हैं,
इन ख़बरों का अख़बार में आना अब बहुत आम है...
सरकारें क्यों नहीं लेती कोई सख़्त फ़ैसला,
यह देख दिल भी बोल उठा हुकूमत बेईमान है...
अरे फांसी दे दो,ज़िंदा जला दो या बीच चौराहे पर भूनवा दो,
इस जुर्म के लिए इन शैतानों का बस यही अंजाम है...।।।-
कुछ देर से समझे....
वो पत्ते टूटे ही उड़ने के लिए है
तो फिर हम तो इंसान है ||-
देख कर शर्मिंदा है गिरगिट भी फ़न इंसान का ,
नादान खुद को शाह-ए-शातिर समझता था. . .
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यूँ तो इंसानों ने बदले हैं फ़ैशन बहुत
पर मुखौटा हमेशा ही पसंदीदा रहा है-
हैं तु इंसान , इंसान ही कहलाएगा
कर लें जितनी भी चाहे कोशिशें ,
ख़ुद को भी नहीं पहचान पायेगा |
हैं दर्द इतना कि तु किनारे पर ही डूब जाएगा ,
बचाना चाहेगा तु ख़ुद को
तेरा जिस्म , ये समुंदर ऐसे ही निगल जाएगा |
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Ghair mahram mard per bharosa aurat ki sabse badi bewaqoofi hai ye aisa hi hai jaise band pinjre me maujood sher pr taras kha ke use azaad karna is yaqeen ke saath ki wahid aap wah ladki ya insaan hai jise wah nahi khayega , halanki dar haqeeqat wah sabse pahly aap ko hi khayega..
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अक्सर सोचता हूँ,
काश किताबें भी बोल पाती
तो कभी इन्तज़ार ना करना पड़ता,
काश ये किताबें भी सुन पाती
तो कभी एहसासों को बिखरना ना पड़ता,
काश ये किताबें भी चल पाती
तो कहीं भी तन्हा शामें ना होती,
काश ये किताबें भी इंसानों सी होती
तो इंसानों की कभी ज़रूरत नहीं होती!
फिर सोचता हूँ,
ये किताबें इंसान ना ही हो तो बेहतर है
बोल, सुन, चल नहीं पाती
मगर कम से कम इंसानों की तरह ये दिल तो नहीं दुखाती!
#PoolofPoems-
मैदान में हारा हुआ इंसान फ़िर जीत सकता है।।
लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं जीत सकता ।।-
जो छीन रहा है तू मेरी हर ख्वाहिश को
ए खुदा, तू इंसान कब से हो गया....-