Prateek Tiwari   (प्रतीक तिवारी (तलाश))
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Joined 19 November 2017


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22 JUL AT 23:30

कभी किसी याद में
यूंही बस उन्माद में

कभी किसी बोझ में
यूंही किसी खोज में

कभी है वजह भीतर ही अपने
यूंही खुली आँखें देखे जो सपने

कभी वो सबब ठहर जाता बाहर
कभी बिन वजह ही जाती है नींद

जो रूठे, न माने आती हुई नींद
बस यूंही उचट जाती है नींद

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9 JUL AT 22:04

खुद को कहीं पर छोड़कर
देख के आईना बदल गए हम
खुद से मुँह को मोड़ कर

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29 JUN AT 17:40

हम जो खुद के हो लिए साथ तो किस बात के तन्हा
खुद से कर ली सारी बात तो किस बात के तन्हा

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5 JUN AT 23:56

तन्हाई का शोर भाने लगा अब
जो मिला मौन से, चिल्लाने के बाद

बातें भी खुद से ही होने लगी हैं
जो मिला न जवाब बतलाने के बाद

अब तो ख़ुद को भी मैं सच नहीं मानता
जो मिला आईने में दिखलाने के बाद

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5 JUN AT 23:33

आना मेरे पास
मुझसे नाराजगी अब तेरी न चलेगी

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5 JUN AT 23:31

तन्हाई में अब सकून है मिलता
मिला जो मौन से चिल्लाने के बाद

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20 FEB AT 0:50

यूं तो दिया तूने बहुत कुछ ऐ रब
ज़रा सा मुझे तू सुकून दे दे अब

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6 FEB AT 12:51

जिंदगी तुम मेरे काम न आई अगर
मौत से दोस्ती हो जाएगी मेरी

मरना चाहता है कौन कमबख्त यहां पर
मुझसे दिल्लगी हो जाएगी तेरी

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20 JAN AT 21:13

जिंदगी ने हमको धोया बहुत है
बैठा जो भीतर वो रोया बहुत है

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20 JAN AT 21:11

के आदत वो फिर से घर कर गई
हंसी चेहरे की आज फिर मर गई

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