लिखे हुए चुम्बन
कभी अपनी मंज़िल
तक नहीं पहुँच पाते।
प्रेतात्माएँ उन्हें बीच रास्ते
में ही खा जाती हैं।
काफ्का
-
जिया हुआ प्रेम व
सुना गया संगीत लौटकर जरूर आते हैं ।
गीत चतुर्वेदी-
मैं चाहता था ,
शुद्ध भाषा बोलने वाली लड़की
मुझसे प्रेम करे
पर जिसने किया ,
उसने बताया
भाषा प्रेम को शुद्ध नहीं रहने देती
एक स्वच्छ प्रेम को प्रदूषित
कर सकते है शब्द ,-
जितनी रातें
तुम जागकर बिताते हो
वे सब की सब
तुम्हारी आंखों के नीचे
इकट्ठा हो जाती हैं
"गीत चतुर्वेदी"
किताब: न्यूनतम मैं-
हर प्रेमी चाहता है
प्रेमिका की आँखें बंद रहे
ताकि प्रेम में किए गए छल को
वो कभी जान न सके
हर पुरूष चाहता है
एक गाँधारी
लेकिन स्वयं धृतराष्ट्र नहीं
होना चाहता
-
इतिहास गवाह है कि, जालिमों को बहुत समर्पित प्रेमिकाएं मिली हैं।
- गीत चतुर्वेदी-
प्रेम इस तरह किया जाए
कि प्रेम शब्द का कभी ज़िक्र तक न हो
चूमा इस तरह जाए
कि होंठ हमेशा ग़फ़लत में रहें
तुमने चूमा
या मेरे ही निचले होंठ ने औचक ऊपरी को छू लिया
छुआ इस तरह जाए
कि मीलों दूर तुम्हारी त्वचा पर
हरे-हरे सपने उग आएँ
तुम्हारी देह के छज्जे के नीचे
मुँहअँधेरे जलतरंग बजाएँ
रहा इस तरह जाए
कि नींद के भीतर एक मुस्कान
तुम्हारे चेहरे पर रहे
जब तुम आँख खोलो, वह भेस बदल ले
प्रेम इस तरह किया जाए
कि दुनिया का कारोबार चलता रहे
किसी को ख़बर तक न हो कि प्रेम हो गया
ख़ुद तुम्हें भी पता न चले
किसी को सुनाना अपने प्रेम की कहानी
तो कोई यक़ीन तक न करे
बचना प्रेमकथाओं का किरदार बनने से
वरना सब तुम्हारे प्रेम पर तरस खाएँगे..-
कहने को तो हम दोनों एक ही जिल्द में रहेंगे...
मगर हमारे बीच होगा कई पन्नों का फांसला...-