दुर्भाग्य भी आवश्यक है, यह हारने की सामर्थ्य पैदा करता है।
-
भारत मे अधिकतर प्रेम बॉलीवुड की फिल्मों से प्रेरित होता है, भावनाएं उन गानों से प्रभावित रहती हैं जिनको सुनकर हम बड़े हुए हैं इसलिए ज्यादातर चीजें मिथ्या होती हैं और सच्चाई साफ नहीं दिखाई देती।
-
!! विश्व पर्यावरण दिवस!!
सांसों को घोंटा जाना,
और पेड़ों को काटा जाना।
है एक बराबर,
तुम क्या जानो।
पेड़ की छाया,
गंवार जाने, पथिक जाने,
जाने पक्षी, पशु, और पिछड़े,
तुम आधुनिक,
तुम क्या जानो।
--जयहिन्द वर्मा
गंवार से यहां मतलब
गाँव वालों से है।-
वो - आपने कहा था, बस नाम जय है वर्ना आप बहुत हारे हैं। तो क्यो हारते हैं? जीत की जिद किया करिए, हार मत मानिए।
मैं - मैं हारता हूँ, ताकि मेरे आसपास सभी जीत का आनंद ले सकें।
वो - ये क्या बात हुई?
मैं - ..........(बस एक छोटी सी हँसी)
-- जयहिन्द वर्मा-
वो - हम आपको जय कह सकते हैं?
मैं - क्यों?
वो - अच्छा लगता है, जय मतलब जीत, और छोटा भी है।
मैं - हा हा हा! मेरा बस नाम ही जय है, बाकी मेरा अब तक का जीवन पराजय से भरा पड़ा है।
वो - क्या कह रहे हो?
मैं - .........( बस एक छोटी सी हँसी)
-- जयहिन्द वर्मा
-
मैं - तुम, सोरी, आपने ऐसा कहा था।
वो - कोई बात नहीं 'तुम' कह सकते हो।
मैं - नहीं आप ही कहूंगा।
वो- कब तक।
मैं - जब तक चल सकेगा तब तक।
( अन्दर अन्दर मैं- जब तक मुझे गहराई से महसूस न हो कि मेरे हो।)
-जयहिन्द वर्मा-
असल बात तो ये है कि,
सब एक अदद ही होते हैं।
बस जब तक जीवन है,
परस्पर इच्छाओं को ढोते हैं।
- जयहिन्द वर्मा-
जो चीर दे हृदय, नीर क्षीर अलग हो जाए।
बिडंबनाओ का तम जिस उजाले में खो जाए।
जो छल को खल को, वश में करे, नजर दिखी नहीं अब तक।
जो सबकुछ प्रतिबिंबित कर दे,कविता लिखी नहीं अब तक।
- जयहिन्द वर्मा
Khushant जगह नहीं छोड़ी आपने।😜-