भारत मे अधिकतर प्रेम बॉलीवुड की फिल्मों से प्रेरित होता है, भावनाएं उन गानों से प्रभावित रहती हैं जिनको सुनकर हम बड़े हुए हैं इसलिए ज्यादातर चीजें मिथ्या होती हैं और सच्चाई साफ नहीं दिखाई देती।
वो - आपने कहा था, बस नाम जय है वर्ना आप बहुत हारे हैं। तो क्यो हारते हैं? जीत की जिद किया करिए, हार मत मानिए। मैं - मैं हारता हूँ, ताकि मेरे आसपास सभी जीत का आनंद ले सकें। वो - ये क्या बात हुई? मैं - ..........(बस एक छोटी सी हँसी) -- जयहिन्द वर्मा
वो - हम आपको जय कह सकते हैं? मैं - क्यों? वो - अच्छा लगता है, जय मतलब जीत, और छोटा भी है। मैं - हा हा हा! मेरा बस नाम ही जय है, बाकी मेरा अब तक का जीवन पराजय से भरा पड़ा है। वो - क्या कह रहे हो? मैं - .........( बस एक छोटी सी हँसी) -- जयहिन्द वर्मा
मैं - तुम, सोरी, आपने ऐसा कहा था। वो - कोई बात नहीं 'तुम' कह सकते हो। मैं - नहीं आप ही कहूंगा। वो- कब तक। मैं - जब तक चल सकेगा तब तक। ( अन्दर अन्दर मैं- जब तक मुझे गहराई से महसूस न हो कि मेरे हो।) -जयहिन्द वर्मा