तुम्हें ! मुझसे कुछ कहना था न ? ? ?
नहीं ! ! ! अब नहीं !
क्यों ?
उस वक़्त बात कुछ और थी
तो फिर अब ?
अभी के लिए तो तुम हो न ! हो न ?
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" खोई हुई खुशियों का पता " ❤️🩹
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!!!!!!!!!!!!!!" ख़ुशी " !!!!!!!!!!!!!!!!!!
ख़ुशी के पीछे हम सारी उम्र भागते हैं
मिलती कहाँ है ये ख़ुशी ?
उसे पा कर जो हमारे पास ना हो
इसे पकड़ के रख़ सकते हैं क्या ?
कैसे क़ैद करके रक्खें इस ख़ुशी को
के हमारे हाथ से ये फ़िसल ना जाए
जो हमारे पास है उससे ख़ुश रहकर
या फ़िर अपनी ना'ख़ुश ज़िन्दगी से
कहीं दूर तलाश करें इसे ???
FuLL PiECe IN D CaPtiON 👇👇👇-
दर दर भटकने से बेहतर ....
इन बंद कमरे की दीवारों का हो जाना "
सौंप देना खुद को सर्वस्व उसके स्याह पर
और समर्पण पर उससे
बेझिझक अपनी हर इक बात कह देना "
बस इतना ही ...❣️-
बहोत होंगे सवाल मग़र....!!!!!!
!!!!!!!!!!!!! मेरी !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
खामियों का कोई इलाज़ नहीं !!!
!!!!!!!!!!!!!! ज़वाब !!!!!!!!!!!!!!
तो ! ख़ैर होंगे ही ....!!!!!!!!!!!!!!
!!!!! शर्मिंदा ! मुझ'पर ...!!!!!!!!!
!!!!!!!!!!!!! शायद ! कर'क़े !!!!!!!
!!!!!!!!!!!!!! ज़रूर से !!!!!!!!!!!!!!!-
ठहराव में मेरे झूठ शामिल !!
कैसे कह दूँ ' मेरे सच क्या है "
ऐह'तियात ' पर इतने
ज़ो रख़ क़र पढ़ा गया है '
पर'हेज़ ' पर ग़लत ' तो
हरगिज़ नहीं हो सकता है !-
इल्ज़ामात ज़ो इतने रक्खे गए
" मुझ पर "
ख़ातिर उनके ज़रा ही सही '
कुछ और भी ...
नियम ' क़ानून ' नए
तो बनाए ही जान-ए चाहिए !-
कुछ तस्वीरें ' ख़्वाब की
अधूरी ही सही मग़र !
मग़र ! खूबसूरत होती हैं "
होती तो हैं ! हाँ ! होती हैं '-
नज़रो में उठने का हुनर तो मुझे नहीं आता
मग़र ...
नज़रों से गिरना क्या होता है तो शायद हाँ !-