QUOTES ON #FARMERSPROTEST

#farmersprotest quotes

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12 MAR 2021 AT 20:44

करे तो करे क्या ?
यहां सरकार क्या भगवान
खुद नहीं सुनता किसान की
कभी बेमौसम बारिश ,
कभी तूफान , तो कभी सूखा
ना प्रकृति ही साथ है
ना किस्मत साथ देती ना वक़्त
ना मेहनत का फल मिलता
ना लागत के दाम 😐
करे तो करे क्या ??

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6 SEP 2019 AT 17:05

"किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका "

किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका l
जरा सा कर्ज लिया था उसने, वो भी चुका ना सका। कर्जदारौ की गाली और मार खाता रहा , हाथ जोड़कर विनती करता रहा ।
फसले भी सारी बरबाद हो गयी, और बादल भी समय पर बरस ना सके ।
सरकारी वादे भी फैल हो गये, खुदा भी उसकी मदद् कर ना सका ।
परिवार को दो वक़्त कि रोटी खिला ना सका, किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका ।
अखबार में ये खबर अब आम हो गई, मौत का ये सिलसिला रुख ना सका।
आरोप प्रत्यारोप का दोर चलता रहा l
लेकिन जो मर गया वो तो किसान था, जिन्दगी से लड़ ना सका ।

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19 JAN 2018 AT 22:31

ना हिंदूऔं से, ना मुसलमानों से।
ना गीता से , ना कुरानों से।
ना मंदिर की आरतियों से,
ना मस्जिद की अजानों से।
ना खुद अपने ही खुदा से,
ना औरों के भगवानों से।
ना नए साहिब-ए-मसनद से,
ना सत्ता की पुरानी दुकानों से।

तकलीफ देखकर है लेकिन

सरहद पर मरते जवानों से,
और खेत में मरते किसानों से।

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28 JAN 2021 AT 18:41

अगर तुम ना होते अन्नदाता के वेश मे
दिल्ली पुलिस तुम्हें सिखा देती
कैसे रहा जाता है देश मे ..।

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7 DEC 2020 AT 20:27

बात हमारे वजूद की है,मैं रुख दिल्ली की ओर करता हूँ l
खेत,खलियान पहचान है मेरी, मैं भारत बंद का शोर करता हूँ ll

بات ہمارے وجود کی ہے میں رخ دلہی کی اور کرتا ہوں-
کھیت کھلیان پہچان ہے میری میں بھارت بند کا شور کرتا ہوں-

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15 DEC 2020 AT 17:42

ख़ुदा बचाए ऐसे हुक्मरान से
जो रोटी छीन रहा किसान से,

कभी नज़र, खेत ख़लयान पे
तो कभी नफ़रत उर्दू ज़बान से।

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18 DEC 2020 AT 10:45

गूँगे हो गए है सब या बहरे होने का नाटक कर रहे है ,,

हर साल कृषिप्रधान देश मे किसान ही क्यों मर रहे है,,

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26 JAN 2021 AT 16:08

ये जो सड़क पर जवान खड़ा है
वर्दी पहने एक किसान खड़ा है

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मसला धारदार होता हैं गर सड़को पर अमीर होता है
आवाज सियासत हिला देती है गर ज़मीदार रोता हैं

आज सरकार के कंधों पर झोला और पाँव मैं छाले हैं
कहाँ गए वो लोग जो कहते थे हम देश के रखवाले हैं

फिलहाल सत्ता के गलियारों में सुख चैन की होली हैं
वो बाहर निकल कर देखो मजदूर कि खाली झोली हैं

सड़क पर डंडा खाते लोगो की जिंदगी कटी पतंग है
वो बताओ उनसे वादा करने वाले कौन कौन संग है

कुछ दिन की रौनक में ये मजबूरों को सताना पाप है
बताओ अपने हक के लिए लड़ना क्या अभिशाप है

वो खुदगर्ज बनके जीता ना लेता किसी का एहसान है
कपिल" वो किसान है इस देश की आन बान शान है

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16 FEB 2021 AT 12:11

लवों पे फूल , दिलों में लिए नफरतों के गुबार को
कुछ यूँ निभा रहे है लोग , जमाने में प्यार को

तोहमतें लगाते है वो, बहुत बदल गए हो तुम जाना
न जाने किसकी लगी है नजर ,यार उनके ऐतबार को

भरा पेट सदियों से, उगाए फूल भी मुल्क में जिसने
देखा है हमने उनके सामने ,कीलों और कँटीले तार को

इस बुझदिली ने तुम्हें ,सारे जहां में बेनक़ाब कर डाला
क्या पा लिया तुमने करके ,उनपे पानी की बौछार को

बचाई है न जाने कितनी बेटियों की आबरू
खुदा महफूज रखे , उस तवायफ के कारोबार को

वो कहते हैं हमसे कि, जरा बच के रहो तुम "गौरब”
भला देखा है किसने गीदड़ के हाथों शेर की हार को

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