Ashish Kushwah  
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Joined 6 September 2019


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Joined 6 September 2019
21 NOV 2024 AT 21:09

इसी उम्मीद से छोड़ आए हैं घर
कमाएं इतना की घट जाए कर

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16 AUG 2024 AT 15:31

देश का यही नारा है -

"पहले रक्षा का वादा
फिर कलाई में धागा"

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9 SEP 2021 AT 10:57

जो भी मसअला है बैठकर हल करते है
दो-दो पेग मारते है, और घर चलते है

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18 JUL 2021 AT 10:05

जो हिज्र काटते हैं लोग
जिंदा लाश होते हैं लोग

यकीन नहीं इश्क में अब
धोखा दे ही जाते हैं लोग

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9 SEP 2019 AT 19:40

माँ मैं तुझसे अब इशारे में ही सब कह देता हूँ ।
बस तू दूर मत जाया कर नहीं तो में रो देता हूँ ।

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6 SEP 2019 AT 17:05

"किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका "

किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका l
जरा सा कर्ज लिया था उसने, वो भी चुका ना सका। कर्जदारौ की गाली और मार खाता रहा , हाथ जोड़कर विनती करता रहा ।
फसले भी सारी बरबाद हो गयी, और बादल भी समय पर बरस ना सके ।
सरकारी वादे भी फैल हो गये, खुदा भी उसकी मदद् कर ना सका ।
परिवार को दो वक़्त कि रोटी खिला ना सका, किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका ।
अखबार में ये खबर अब आम हो गई, मौत का ये सिलसिला रुख ना सका।
आरोप प्रत्यारोप का दोर चलता रहा l
लेकिन जो मर गया वो तो किसान था, जिन्दगी से लड़ ना सका ।

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7 JUN 2021 AT 21:36

जैसे-जैसे तेरी यादों का असर कम होगा
यकीन मान में पहले से और बेहतर होगा

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2 FEB 2021 AT 8:21

लिहाफ़ ओढ़ते ही
जब कभी
उसका ख़्याल आता है
दिल धड़कता है
जोरो से
और अश्क छलक जाता है

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22 NOV 2020 AT 12:13

काबिलियत है गर, तो खुद को आजमाया कर
यू ना किस्मत के भरोसे बैठ जाया कर !!!

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8 SEP 2020 AT 21:12

परिंदो की परेशानी का लिहाज़ कौन करता है
जब बनानी हो सड़क तो पेड़ काटना पड़ता है

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