इसी उम्मीद से छोड़ आए हैं घर
कमाएं इतना की घट जाए कर-
Dil ki baato ko sabdo m waya kerta hu. Koshish meri yahi rehti h ... read more
जो भी मसअला है बैठकर हल करते है
दो-दो पेग मारते है, और घर चलते है-
जो हिज्र काटते हैं लोग
जिंदा लाश होते हैं लोग
यकीन नहीं इश्क में अब
धोखा दे ही जाते हैं लोग-
माँ मैं तुझसे अब इशारे में ही सब कह देता हूँ ।
बस तू दूर मत जाया कर नहीं तो में रो देता हूँ ।-
"किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका "
किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका l
जरा सा कर्ज लिया था उसने, वो भी चुका ना सका। कर्जदारौ की गाली और मार खाता रहा , हाथ जोड़कर विनती करता रहा ।
फसले भी सारी बरबाद हो गयी, और बादल भी समय पर बरस ना सके ।
सरकारी वादे भी फैल हो गये, खुदा भी उसकी मदद् कर ना सका ।
परिवार को दो वक़्त कि रोटी खिला ना सका, किसान था वो, जिन्दगी से लड़ ना सका ।
अखबार में ये खबर अब आम हो गई, मौत का ये सिलसिला रुख ना सका।
आरोप प्रत्यारोप का दोर चलता रहा l
लेकिन जो मर गया वो तो किसान था, जिन्दगी से लड़ ना सका ।-
जैसे-जैसे तेरी यादों का असर कम होगा
यकीन मान में पहले से और बेहतर होगा-
लिहाफ़ ओढ़ते ही
जब कभी
उसका ख़्याल आता है
दिल धड़कता है
जोरो से
और अश्क छलक जाता है-
काबिलियत है गर, तो खुद को आजमाया कर
यू ना किस्मत के भरोसे बैठ जाया कर !!!-
परिंदो की परेशानी का लिहाज़ कौन करता है
जब बनानी हो सड़क तो पेड़ काटना पड़ता है-