यूं गुम है तेरे इश्क़ में कोई हमें भी तो अब हमसे मिलाये,
अभी उलझें है इस कशमकश में कैसे करेंगे पहली दफ़ा सजदा तेरा
किसे फुर्सत जो शिकवे गिले करे तुझसे या तेरी वफ़ा आजमाए,,
लोगों को फुर्सत कहाँ है मेरी कमियाँ ढूढ़ने से,
उनसे कहो खुद को भी कभी आईने के सामने तो लाये ,,
मुझें आदत नहीं है जो सबसे गुणगान करू अपनी रहमत का ,
मैं अपना सब कुछ वार दूं तुझपे,किसी से बिना कुछ कहें बिना कुछ बताए,,
बड़ा मुश्किल है ना इस दौर में सच्चे शख्स की तलाश करना ,
लोगो के दिल में कुछ और है पर वो जुबां से हमें कुछ और ही बताए ,,
मैंने छोर दिया है कब का दूसरों की बातों पर गौर देना ,
फर्क न पड़ता अब कोई तारीफ करें हमारी या हमें बुरा बताए ,,
मैंने चूम लिए तेरे नाम के लफ्ज़ो को जो कभी किताबों में भी दिखे अगर ,
कोई इस तरह करे मोहब्बत किसी से , या मोहब्बत में मेहबूब की इबादत करके दिखाए,,
हर रोज रब से मांगी तेरे लंबी उम्र की दुआ,और तेरे चेहरे की मुस्कान को तेरे सारे गम माँगकर ,
कोई सालों दर साल मेरी तरह तेरी सलामती की, यूं खुदा के सामने एक ही दुआ हजारों दफ़ा दोहराये,,
कहाँ मुमकिन है मेरे प्यार को लफ़्ज़ों में कैद करना,जो समा ले सागर को खुद में कोई ऐसा बांध बना के तो दिखाए,,
वो आदित्य है मैं अवनि हूँ उसकी,शाश्वत घूमती रहूगी उसके इर्दगिर्द खामोशी से बिना कुछ कहे बिना कुछ जताए,,
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