खाई थी बहुतों ने ये कसम सख्त इरादों कि
हमारे देश के इसी सिस्टम में कुछ तो कर गुजरना है,
पर इसकी दलदलों में "रीढ़ सबकी गल गई"
कुछ ही बचेंगे बाकी सबको यहीं "सड़ना" है..!!!!-
सुनो,मेरी हर मुश्किल का
हल हो तुम ...
जिसके ख्यालों से कभी ना
निकल पाऊं, एक ऐसी
दलदल हो तुम...-
अजीब सी कश्मकश में फँसी हूँ,
सुकून नहीं जिन रिश्तों में,
मैं उनमें दलदल की तरह धँसी हूँ ।-
हम तेरे इश्क़ में इस कदर डूबे कि.......
दलदल को तेरे प्यार की गहराई समझ बैठे
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Ishq dariya nahi daldal hai yaaro,
Isme tairne wale aksar doob hi jate hai....-
लाख दलदल हो...
पाँव जमाए रखिये...
हाथ खाली ही सही...
ऊपर उठाये रखिये...
कौन कहता है छलनी में...
पानी रुक नहीं सकता...
बर्फ बनने तक...
हौसला बनाये रखिये...
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Meri aakho me dub jane ka soch rhy ho sahib
Fir Namumkin h es daldal se waps aana ..-
मुझे गिरा कर दूर खड़े हँसते हो,
क्यों नही समझते,इससे तुम खुद ही दल दल में धसते हो ।।-
Jo es daldal se nikle to kaha jaoge tum "Rashid ",
Pada Jo pair daldal me yahi fas Jaoge "Rashid ",
Teri ankho ka Dokha tha yaha fasna jaruri tha,
Bache jo aankho se tum to kaha jaoge phir "Rashid".....!-