ये इश्क़ बस नादानियां है, और कुछ नहीं,
तेरे मेरे यूं बिच में बस और कुछ नहीं।।
कहता है मुझे इश्क़ है, तुझसे यूं बेपनाह,
ये उम्र की नादानियां है और कुछ नहीं।।
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मैं,
पेशे से अभियंता(engineer)
हूँ,
लेकिन कभी-कभी
कुछ लिखने की कोशिश
कर... read more
गर्दन को कटाया है,बस इस्लाम के खातिर,
दुनिया को बचाया है,बस इस्लाम के खातिर।।
लोगों सुनो, इस्लाम ने क्या - क्या है गंवाया,
मेरे अली ने खानदान भी गवाया है, इस्लाम के खातिर।।
~~राशिदग़ाज़ीपुरी~~-
आदमी - आदमी से जो डर जाएगा,
फिर ये क्या ही मुहब्बत ये कर पायेंगा।।
जिंदगी - जिंदगी का फ़साना रहा,
मै दिवाना सनम मैं दिवाना रहा।।-
मैने सिखा है हवाओं से ,तो चलने का हुनर ,
राहों मे दिये जलाने की जरूरत क्या हैं।।-
जुदाई है मुकद्दर में,तो फिर वफादारी कैसी,
इश्क़ है तो फिर इश्क़ है,इश्क़ में गद्दारी कैसी।।-
बड़ी मजबूर कर देती हैं घर कि परेशानियां मुझको,
वर्ना कौन निकलता है कमाने के लिए रोटी।
और घरों से दूर बैठा हूं। घरों को भुल बैठा हूं,
कमाने के लिए रोटी मै देखो कैसे मजबूर बैठा हूं।
और वख़्ते - हाल से मै अब, बड़ा परेशान रहता हूं।
किसी को क्या बताऊं मैं, मैं कितना परेशान रहता हूं।
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हमे तुम "रैद़ते" हो कह - कर के नया शायर,
तुम्हें जो "इल्म" है तो खुद पर गुरुर कैंसा।।-
शब ए वस्ल पे लानत शब ए करार पे लानत
तेरे ख्याल पे थू , तेरे इंतजार पे लानत !!!-