Rashid khan   (गायब ग़ाज़ीपुरी)
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Joined 1 October 2018


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5 JAN 2023 AT 2:32

ये इश्क़ बस नादानियां है, और कुछ नहीं,
तेरे मेरे यूं बिच में बस और कुछ नहीं।।

कहता है मुझे इश्क़ है, तुझसे यूं बेपनाह,
ये उम्र की नादानियां है और कुछ नहीं।।

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8 AUG 2022 AT 18:00

गर्दन को कटाया है,बस इस्लाम के खातिर,
दुनिया को बचाया है,बस इस्लाम के खातिर।।

लोगों सुनो, इस्लाम ने क्या - क्या है गंवाया,
मेरे अली ने खानदान भी गवाया है, इस्लाम के खातिर।।

~~राशिदग़ाज़ीपुरी~~

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3 MAR 2022 AT 19:33

आदमी - आदमी से जो डर जाएगा,
फिर ये क्या ही मुहब्बत ये कर पायेंगा।।

जिंदगी - जिंदगी का फ़साना रहा,
मै दिवाना सनम मैं दिवाना रहा।।

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27 DEC 2021 AT 1:04

राशीद

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4 DEC 2021 AT 10:02

मैने सिखा है हवाओं से ,तो चलने का हुनर ,
राहों मे दिये जलाने की जरूरत क्या हैं।।

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26 NOV 2021 AT 12:25

जुदाई है मुकद्दर में,तो फिर वफादारी कैसी,
इश्क़ है तो फिर इश्क़ है,इश्क़ में गद्दारी कैसी।।

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16 OCT 2021 AT 15:00

बड़ी मजबूर कर देती हैं घर कि परेशानियां मुझको,
वर्ना कौन निकलता है कमाने के लिए रोटी।
और घरों से दूर बैठा हूं। घरों को भुल बैठा हूं,
कमाने के लिए रोटी मै देखो कैसे मजबूर बैठा हूं।
और वख़्ते - हाल से मै अब, बड़ा परेशान रहता हूं।
किसी को क्या बताऊं मैं, मैं कितना परेशान रहता हूं।

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26 SEP 2021 AT 13:47

हमे तुम "रैद़ते" हो कह - कर के नया शायर,
तुम्हें जो "इल्म" है तो खुद पर गुरुर कैंसा।।

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10 SEP 2021 AT 10:07

शब ए वस्ल पे लानत शब ए करार पे लानत
तेरे ख्याल पे थू , तेरे इंतजार पे लानत !!!

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5 SEP 2021 AT 23:20

खुशी से खुशी का चहरा नहीं देखा।
मैंने अब तलक उसका चहरा नहीं देखा।

वो तो मुझपे मर मिटने को थी तैयार।
मैं ही हट के पिछली सप में जा बैठा।।

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