अंश
प्रश्न: पुत्र कैसा हो ?
उत्तर:
ममता धाए माँ धरे ध्यान तब कोमल करुण सुभाषी हों ।
जब आए समर फिर कर प्रणाम नित आयुध के परिभाषी हों ।।
सुत प्रभाव में स्तम्भ सदन का सुत स्वयं तात अनुयायी हो ।
हो स्वभाव से मृदुभाषी, संयमी व स्वाभिमानी हो ।।
पुत्री कैसी हो ?
उत्तर:
और सुता वह जो स्वरूप माता के सनातन रीती की ।
सुता सृजन में स्वयं ब्रम्ह और सुता धरातल प्रीति की ।।
एक सुता वह सीता थी और एक सुता थी सावित्री ।
मंत्रारंभ और मंत्र जप में है प्रधान माँ गायत्री ।।-
बेटियों को तो कोख में मरवाते हो,
क्या खुद किसी बेटे की कोख से आते हो.?
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हर रिश्ता को पूरे दिल से जो निभाये वो होतीं हैं बेटियां
अपने सपना छोड़ कर अपनों का सपना पुरा करती हैं बेटियां
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बेटी हूं पापा मैं आपकी, बेटी ही मुझको रहने दो,
ना समझो अभिशाप मुझे, वरदान ही मुझको रहने दो,
आसमानों में उड़ने दो, हवाओं संग मुझको बहने दो,
कमजोरी नहीं, ताकत हूं आपकी, यूं कोख़ में ना मुझको मरने दो,
मेरी भी जिंदगी है, मेरे सपने हैं, मेरे सपनों में रंग मुझको भरने दो,
हौसला अफजाई करो मेरा, ना यूं बुरी नजर से मुझको डरने दो,
मैं भी भाई सा नाम कमाऊंगी, बाहर मुझको भी पढ़ने दो,
ये सोच समाज की छोटी है, यहीं बड़ा कुछ मुझको करने दो,
संघर्ष बड़ा अभिमानी है, बस मुश्किलों से मुझको लड़ने दो,
और भी मजबूत बन जाऊंगी, बस संघर्षों में मुझको पलने दो,
तूफ़ानों से लड़ जाऊंगी मैं, एक हूंकार तो मुझको भरने दो,
जग को बौना साबित कर दूंगी मैं, बस एक बार मुझको लड़ने दो,
सांसें बहुत मजबूत मेरी, सपनों की सीढ़ियां मुझको चढ़ने दो,
ये दुनिया भी याद करेगी मुझे, बस अकड़ कर मुझको चलने दो,
नेकी की राह पर चलूंगी सदा, बस एक कदम तो मुझको बढ़ने दो...-
अभिलाषा की वो परी है, हाथ बांधे खड़ी है,
सूरज सी उसमे रोशनी है, इस समाज में आज भी स्त्री उदास खड़ी है।।-
एक बेटी
पैदा होते ही कुछ को
मार दिया जाता है
बच जाती हैं जो बेचारी
उन्हे बोझ करार दिया जाता है,
एक दो बच्चे पैदा करने के खातिर
वो हर महीने खून बहाती है,
घूर कर ना देखले उससे कोई लड़का
इसलिए मुह पर कपड़ा ढककर
वो घर से बाहर जाती है-
लाख गुलाब लगा लो आंगन में खुशबू नहीं होगी
ना हो जिस घर में बेटी तो वहां रौनक नहीं होगी💔-
मैं कैसे कहूँ इश्क़ में बात जिस्मों की होती नहीं,,
बात रूह की होती तो तुलना चाँद से होती नहीं,,
ना सुनती वो ताने किसी से कम खूबसूरत होने का,,
अपनी सहलियों के बीच में वो यूं सहमी होती नहीं,,
ना चलता कारोबार फिर ये मेकअप के रहीशो का,,
कोई माँ को फिर साँवली बेटी की चिंता होती नहीं,,
ना होती फ़िक्र किसी भी बाप को बेटी के रिश्ते की,,
कोई बेटी रिश्ते के इनकार से छिपछिप के रोती नहीं,,
ना होता बोझ दहेज़ का किसी भी पिता के कांधे पर ,,
किसी भी माँ बाप की आँखे फिर रात भर रोती नहीं,,
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Choti choti baat pr zidd krne wali...
Aaj akele mai rona sikh gyi...
Dekh Maa♥️,
Teri beti badi ho gyi😇.-