रोज़ रोज़ मैं ही आती हूँ तुमसे मिलने आज़ तुम मुझसे मिलने आना...मैने कहा क्यों.?
वो कहती है मेरे हाथ पैरों में मेहंदी लगी है..
#यह_क्या_बात_हुयी
#Psycho_Writer✍
#Мя_NiЯwAnDaЯ★★★-
A Mother's tale
A mother had five sons, who stayed separately.She use to be there for six days at every son's place for food.Sadly a day in the months which had thirty one days made her to sleep empty stomach .-
मनुष्य जीवन के पंचऋणों से,
समय के साथ -
बहुतेरे प्रयासों से
हर ऋण से मुक्त हुआ जा सकता है,
परंतु ...
"अहैतुक प्रेम" वो है,
जिससे उऋण होना संभव ही नहीं;
स्वयं प्रभु नहीं हो पाते।-
എന്നുള്ളിലെരിയുന്നൊരു തിരിനാളമായ്
എന്നെന്നുമെന്നിലെ ജീവനാകൂ..
എള്ളോളമെങ്കിലും സ്നേഹം പകരുവാൻ
എങ്ങെങ്ങും മറയാതെ ചേർന്നിടു നീ..
എവിടെത്തിരിഞ്ഞൊന്നു നോക്കിയാലും
എങ്ങുംനിൻനിഴൽമാത്രം തെളിയുന്നെൻമിഴിയിൽ..
എണ്ണാതതിലേറെ കിനാക്കളിലായ്
എന്റേതായ് സ്വന്തമാക്കിയ നിന്നെ
എൻനെഞ്ചോട്ചേർത്തൊന്നു പുണരുമ്പോൾമെല്ലെ
എന്നകതാരിൻസീമന്തരേഖയിൽതെളിയുന്ന
എഴുത്തോലയിലായേഴുനിറങ്ങളിൽഞാൻ
എഴുതീടാമെപ്പോഴും പ്രണയകാവ്യങ്ങൾ..
എന്നിലെ രജനിതൻനിലാപ്പന്തലിലായ്
എഴുന്നള്ളുംനിനക്കായ് മുടങ്ങാതെഞാൻ
എന്നുമെന്നെന്നുമെഴുതീടാം പ്രണയകാവ്യങ്ങൾ....
_©Soumya Gopalakrishna-
"Cycle (चक्र)"
जन्म से मृत्यु तक का चक्र ही तो जीवन है और जो उद्देश्यपूर्ण तरीके से इस चक्र को पूरा कर लेता है,वही प्रसिद्धि प्राप्त करता है।-
# Keep #
ये तेरे वश में है,हमें सुखी या दुखी रखना
संग तेरा मिले, हमारा तो यही है सपना
-
जब स्वच्छंदता
स्व की बेड़ियों में
जकड़ दी जाती है
तो उन्मुक्तता का मूल
स्वतः ही नष्ट हो जाता है
जैसे समंदर की लहरों पर बने
पांवों के ढीठ निशान.
न तुम रह जाता है
न मैं
न ज़्यादा या कम की तू-तू, मैं-मैं.
उन्मुक्त ही रहने देने थे न
कुछ भाव
कि खुली आंखों से देखते
सृष्टि के विरले रंग
और आंखें बंद करो तो शिव.-
मेरी परेशानी, मेरा दुख, मेरे मन की
झुंझलाहट,मेरी असहनीय पीड़ा,
तुम अभी छोटे हो, तुम्हारा बचपना
तुम्हें कुछ समझने नहीं देगा,
तुम ना समझोगे,
कहा भी गया है कि.....
जाके पैर ना फटे बिवाई,
वो क्या जाने पीर पराई,
तुम शांत रहो, मेरी परेशानी का
निपटारा मुझे ही करना है.
तुम ना समझोगे.-
வயதானாலும்
வருடந்தோறும்
வந்து கொண்டு
தானிருக்கிறது
அவளின் நினைவுகள் !
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जुल्म की तेरी हर इंतेहा देखेंगे
सब्र का अपने हम इम्तेहां देखेंगे
आज़मां ले जोर जितना है तुझमें
लुटा कर इश्क में दोनों जहाँ देखेंगे-