बाकी हैं अभी कई मोड़ ज़िन्दगानी में
देखता चल अभी कई रंग हैं कहानी में
अभी क्या सोचना उम्र की ढलान का
खिलेंगे क्या क्या गुल अभी जवानी में-
न कोई चाह
न मंजिल कोई
भटक रहा हूं
मैं दर बदर
खुद की तलाश में
सबसे बेखबर... read more
जैसा चाहो वैसी ज़िन्दगी नहीं मिलती
हर किसी को यहां खुशी नहीं मिलती
सब लाए हैं यहां नसीब अपना अपना
किसीसे किसीकी कहानी नहीं मिलती-
बस एक जैसा ही दर्द वो बार-बार देता है
आफिस का गुस्सा मुझ पर उतार देता है
ऐसा भी नहीं है के वो प्यार नहीं करता है
करता है तो उलझी लटें भी संवार देता है-
सूखने नहीं देती ज़ख़्मों को हरा बनाती रहती हूं
एक एक ज़ख़्म को मैं तेरी याद दिलाती रहती हूं-
मतलब निकल गया है शायद अब जाना चाहता है
किसी और की चाहत होगी मुझे भुलाना चाहता है-
उम्र के इस पड़ाव पर तितलियां कहां हाथ लगती हैं
वो बचपन था जब तितलियां मुझसे खेला करतीं थीं-
जिंदगी पहाड़ हो गई है नून तेल के जुगाड़ में
खुद को अब ढूंढना पड़ता है घर के कबाड़ में-
अभी ग़म हैं मेरे साथ अभी न आओ तुम
भीगे हैं सारे जज़्बात अभी न आओ तुम
कांटों भरा ही है सफर अभी दूर दूर तक
बुने न जाएंगे ख़्वाब अभी न आओ तुम-
बचपन में जो अकड़ थी वो बाप की बदौलत थी
उसकी उंगलियां हाथों में थीं तो सब सहूलत थी-