करेगा कोशिश जितनी भुलाने की उतनी ज़्यादा याद करेगा
सिर पटकेगा ज़मी पर कभी खुद गिरेंबा अपना चाक करेगा-
न कोई चाह
न मंजिल कोई
भटक रहा हूं
मैं दर बदर
खुद की तलाश में
सबसे बेखबर... read more
तेरी बेवफ़ाई ने शायर बना दिया
वरगना मैं आदमी किस काम का
जुनून-ए-इश्क़ में क्या हाल हुआ
जिन्दा तो रहा मगर बस नाम का-
तेरी हर जुस्तजू का मुझे ख़्याल है
तेरा हो न सका मैं मुझे ये मलाल है
सफाई दूं नहीं पास अल्फाज़ कोई
मुनासिब मुझसे तेरा हर सवाल है-
जाने क्या है क्या समझा रही है मुझे
ज़िंदगी हर दिन आज़मा रही है मुझे
मैं मार रहा हूं रोज़ ख़्वाहिशें अपनी
वो ख़्वाब दिखा उलझा रही है मुझे-
न हो बुलंद आवाज़ तो काम बनता नहीं है
शोर खामोशी का यहां कोई सुनता नहीं है
भरा जा रहा है जेहनों में ज़हर नफ़रत का
नशा मोहब्बत का किसी पे चढ़ता नहीं है-
घर से लेकर बाज़ार तक सब जगह नफरत ही नफरत है
चलो चलें ख़्वाबों की दुनिया में सुना है वहां मोहब्बत है-
रिश्ते पतंग की तरह हैं इन्हें जितनी ढील देंगे उतनी ऊंचाई तक जाएंगे
और
लड़ाने की कोशिश करेंगे तो उलझ जाएंगे उलझे तो एक का कटना निश्चित है-
मज़हबों के बीच से कोई रास्ता निकाला जाए
इंसानों का इंसानों से भी वास्ता निकाला जाए-