हमारे थे जो वो अब हमारे न रहे
सहारे थे जिनके वो सहारे न रहे
आह: उतर गये सबकी नज़र से
किसी की आंखों के तारे न रहे
-
न कोई चाह
न मंजिल कोई
भटक रहा हूं
मैं दर बदर
खुद की तलाश में
सबसे बेखबर... read more
घर की बातों को न सड़क पर उछालो यारो
दरक न जाएं रिश्ते कहीं इन्हें संभालो यारो
मुश्किल से ही पनपती है मोहब्बत दिलों में
बिखर न जाए ये मोहब्बत इसे बचालो यारो-
क्या बात है क्यूं इतना जोखिम उठा रहे हो
इस दौर में भी अपनों पर प्यार लुटा रहे हो
अपनों पे प्यार ऐसे ही हमेशा लुटाते रहना
अपनों से हैं जो दूर उन्हे राह दिखा रहे हो
कसीम फारूकी
-
किसी की नज़र में अच्छा हूं किसी की नज़र में बुरा हूं
अलग अलग किरदार में हूं कैसे कहूं कितना मैं खरा हूं
-
किसी को मेरी खामोशियों के दर्द का एहसास न हुआ
मैं तन्हा घुट घुट के जिया कोई अपना मेरे पास न हुआ-
बहुत कुछ किया है उन्होंने तुम्हारे साथ अब तुम्हारी बारी है
किया करो खिदमत अपने बुर्जुगों की इसी में समझदारी है
जिन्हें अपनी नज़रों से उतारने में तुम्हें कराहियत नहीं आती
न जाने कितनी बार बचपन में उन्होंने तुम्हारी नज़र उतारी है-
ज़िन्दगी से भी कभी कुछ मलाल हो
खुद से भी खुद का कभी सवाल हो
कुछ हाथों में ही आसमां क्यूं कर हो
अमीरों की किस्मत में भी जवाल हो-
हर वक्त चढ़ा कर आस्तीन न चला करो
खा जाते हैं अहम् आस्तीन में छिपे सांप-
दिल के अंदर क्या क्या है उसे छोड़िए जनाब
चेहरे पे जो मुस्कान सजी है उसे देखिए आप-
जरूरी नहीं सूरज को आईना दिखाया जाए
जरूरी ये है के खुद को आईना बनाया जाए-