बहुत तकलीफ दे जाते हैं वो चंद दिलकश खूबसूरत लम्हे
वक़्त के एक मोड़ पर,
हाथों की एक लकीर ने कैसे कैसे रंग दिखाए कि
ये किस्मत भी है पशेमान,
कुछ तो शहंशाह-ऐ-रब का फ़रमान और उस पर वक़्त की मीठी धार,
तो क्या कहिए,
अरविंद शहंशाह-ऐ-रब से ही पूछता है बता इस वक़्त को पीछे ले
जाने की दुआ क्या है I
-✍️Arvind AKV
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