नारद कर मैं काह बिगारा। भवनु मोर जिन्ह बसत उजारा॥
अस उपदेसु उमहि जिन्ह दीन्हा। बौरे बरहि लागि तपु कीन्हा॥
[ मैंने नारद का क्या बिगाड़ा था, जिन्होंने मेरा बसता हुआ घर उजाड़ दिया और जिन्होंने बिटिया उमा को ऐसा उपदेश दिया कि जिससे उसने बावले वर के लिए तप किया ]-
20 MAR 2021 AT 21:24
7 DEC 2019 AT 19:58
शक के अंदाज़ मैं उन्होंने पूछ लिये
कैसे गुज़रे ईतने दिन हमारे बिना?
अब हम उन्हें कैसे बताएं कि दिल में पत्थर नहीं हिमालय रखे थे ।-
1 SEP 2018 AT 11:16
मैं शीतल धारा पावन तरुणी की, तू अल्हड़ अक्खड़ हिमालय सा
सप्तधारा सी प्रवाहित तुझमें, मैं गंगा सी, तू शिवालय सा...
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17 NOV 2019 AT 10:02
आसमां से ऊंचा,
हिमालय से वृहद,
समुद्र से गहरा,
हवा से हल्का
होता है…
…एक कतरा प्रेम।-
6 AUG 2022 AT 8:46
होगा जब तुझ से सामना......
क्या पाषाण से मोम हो जाऊँगी
थी बिखरी हुई मैं.....
क्या तेरे बाहुपाश में समाधिस्थ हो जाऊँगी
थी जलती सी जवालामुखी मैं......
क्या तेरे स्पर्श से शीत हिमालय हो जाऊँगी
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