तेरी मोहब्बत में कुछ ख्वाहिशों की हसरतें
उस खुदा से मांगता हूं
तु मेरे हक़ में नहीं है ये जानता हूं
फिर भी तुझे अपना मानता हूं।-
पुरुष का जीवन भी कितना निर्मम है.. कहीं ना कहीं थोड़ा बहुत..
किसी ना किसी से.. कहने को.. कुछ ना कुछ.. कई बार रह गया,
प्रेम की परिभाषा "मां" से सीखी.. पर पिता से उसका इज़हार रह गया,
बचपन में कुछ मनपसंद खिलौने छुटे.. जवानी का वो
सजा सजाया.. ख्वाबों का बाज़ार रह गया,
ख्वाइशें इक्का दुक्का हुईं पुरीं.. औऱ बाकियों का..
बाकियों का ताउम्र का इंतज़ार रह गया,
हो गए यूँ मशगूल जिम्मेदारियों की बेड़ियाँ खोलने में
के कमबख़्त पिंजरे में ही परिंदे का.. सारा सँसार रह गया,
तकलीफ़ कोई पूछे तो.. होंठों पे इन्कार रह गया,
भरे भरे नयनों में.. अश्रु.. अस्वीकार रह गया,
भरे घड़े से बूँद बूँद.. छलकता प्यार रह गया
तैरकर पार करना है समुन्दर..
ए कश्ती.. मुझसे जाने कहाँ तेरा पतवार रह गया!— % &-
कुछ थी तुम किस्मत में, कुछ थी तुम लकीरों में,
जब से तुम मिली हो मुझे, तब मैं मुकम्मल हुआ!
थोड़ी ख़्वाहिश मुझे थी, थोड़ी तलाश तुझे भी थी,
जिस मोड़ पर हम मिले, वो हमारा ठिकाना हुआ!
कंही कुछ तुमने भी कहा, कंही कुछ मेने भी सुना,
मिले जब अल्फ़ाज़ हमारे, प्यार का किस्सा हुआ!
कुछ मन्नत तू ने की, कुछ दर दर इबादत मैने भी की,
जब हुई दुआ कुबूल, फिर ये हसीन अफसाना हुआ!
कुछ ख़्वाब तू ने देखे, कुछ वैसी हसरतें मेरी भी थी,
कुदरत ने जब हामी भरी, तब हमारा मिलन हुआ!
कुछ मिले है इस जिंदगी में, बाकी मिलेंगे फिर कभी,
जब बनोगी चाँद आसमाँ का, तब मैं सितारा हुआ!-
ज़िंदगी का हर पल तू जी ले
कल किसने देखा कल का क्या भरोसा
जो है तेरे दिल में वो सारी हसरतें तू आज ही पूरी करले-
ज़िन्दगी ख़्वाब है...; औऱ बस ख़्वाब हैं,
ना हम कैद हैं ....; ना आज़ाद हैं....!-
खुद का ज़िक्र किया तो लोग हसने लगे
दर्द बयां किया तो भी लोग हसने लगे
पर मैं भी चुप ना हुआ बोलता रहा , बोलता रहा
अचानक से एक सन्नाटा सा छा गया महफ़िल में
सब सुनने लगे गौर से मुझे
आंसु निकलने लगे आंखों से
जो कुछ वक़्त पहले ही हस रहे थे
शायद मेरे दर्द ने उन्हें खुद का हाल बता दिया हो
या पुराना जहन में कोई सवाल ला दिया हो
मैं फिर भी चुप ना हुआ बोलता रहा
लोग सुनते रहे सुबह से शाम हो आ ली पर
मैं चुप ना हो सका दर्द हज़ार थे वक़्त तो लगना था
थोड़े वक़्त बाद बोलते बोलते धीरे से में चुप हो गया
सबकी नजरें अभी भी मुझे में ही टिकी थी
पर मैं कुछ हल्का महसूस कर रहा था
जैसा पहले कभी नहीं हुआ वैसा
लगा दिल से किसी ने ईंट निकाल के रख दी हो
बोझ हल्का हो उठा मैं हसने लगा
सब कुछ पहले जैसा ही था बस फ़र्क इतना था कि
सब रो रहे थे और अब मै हस रहा था। ❤️
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_तक़दीर_
बेशक तक़दीर अजीब है गालिब...
आज वो भी खुशियाँ मांगने लगे है
जिनकी शीद्दत -ए -कोशिश ने
हमारी हसरतें छीनी थी.........
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उन हसरतों से भी अब छुट्टी,,,,!
जिन्हें लगता था,तुम मुझको समझोगे,,,,,!-
ज़मीन पर आ गिरे जब आसमां से ख़्वाब मेरे..
ज़मीन ने पूछा क्या बनने की कोशिश कर रहे थे..-