कलियों को जबरन खखोरते बेरहम भंवरे
ये काटें भी महज़ अब नाम के रखवाले हैं-
कुछ पाकीज़गी इश्क़ की सम्भालकर रखना,
रूह रौंदकर चाहतें मुकम्मल नहीं हुआ करती !-
उसने सुनी कर डाली एक माँ की कोख,
और बदनाम कर डाली अपने माँ की कोख।
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हमे भी उनको रोज देखने की आदत लग चुकी थी
पर किसी की हवसी नजर उन्हे ज्यादा बेहतर लगी।-
लोग औरत को हवस का सामान समझ लेते है
उसके अंदर दिल भी होता लोग ये कहा समझते है-
संभाल न सका वो चरित्र अपना तनिक माया और लोभ में ,
कभी इसका हुआ, कभी उसका हुआ सिर्फ जिस्मों के मोह में।
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कब खिलौनों से खेलने वाला एक हवसी
जिस्मों का खिलाड़ी बन गया पता नहीं!! [
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रिश्ते की आड़ में कुछ हवसी अपना हवस छिपाते है;
चीखें कहीं उन्हें बदनाम न कर दें,
इसलिए बेजुबानों पर अपना हवस निकालते हैं।।-
चूमने से आंखें कहीं नापाक ना हो उसकी
दीपक हैं वो मंदिर के कोई मयखाना नहीं
हम हवसी नहीं है जाना बस तेरे कायल हैं
तुझसे बटन लगवाना है मुझे खुलवाना नहीं
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लब पे मेरे दुआ आते-जाते ठहर जाती है;
कुछ हवसियों के हैवानियत के आगे पौरुषता भी सिहर जाती है।।-