उस बन्दी के बारे में आज भी सोचता हुं,
तो सोच में हि पड जाता हुं!!-
सोच रहा हूं, कुछ कर्ज़ उधार ले लूं,
उस बूढ़ी माँ की ममता एक बार ले लू।
कांपते उसके हाथों एक बार, अपने हाथ ले लू
यहाँ से थोड़े दिनों के लिये उसके साथ आबाद ले लू।
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सोंचा आज जिंदगी की कहानी लिखी जाए ,
फ़िर लगा मैंने क्या अच्छा किया जो लिखी जाए ?-
बस करो अब
कल तक आंख दिखाने वालों का?
JNU में पुलिस कैसे घुसी
और आज का???
JNU में पुलिस क्यों नहीं घुसी
अरे बाबा नकाबपोश कितने हैं
उन चेहरों को खंगाल कर देखने की जरूरत है
मगर कोई देखना चाहता है क्या???
भारत तेरे टुकड़े होंगे
के नारे लगाने वालों
टुकड़े भारत के नहीं
उन नकारात्मक सोच और
नकाब के पिछे छुपे दूषित विचारों के होंगे
चाहे कितने भी गुंडई कर लो
जय हिंद 🇮🇳-
करते है हम 'नजर' को 'नज़रिए' में क़ैद
फ़िर बाद उसके क्यूं 'बेहतरी' की 'उम्मीद'!
महिलाओं की स्थिति /जिम्मेदार कौन
( मेरे विचार )-
दिन बदल जाते है
वक़्त बदल जाता है
और वक़्त के साथ उनकी ज़रूरते बदल जाती है
और उस ज़रूरत अनुसार उन्हे कोइए दुसरे मील जाते हैं-
जब हम,
हमारी सोंच के रचयिता
स्वयं हैं, तो
अच्छे और बुरे का प्रश्न,
कहाँ उठता ...-
अच्छे इंसानों की बस एक ही कमी है,
वो सबको अच्छा समझ लेते हैं...!!!-