ख़त.. -
ख़त..
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कविताएँमन का एकांतटोहती हैंऔर आत्मा के अँधेरों कोस्पर्श कररूह में उतरने लगती हैंहाँ,आपकीकविताएँ पढ़करअक्सर यही ख़्याल आता है -
कविताएँमन का एकांतटोहती हैंऔर आत्मा के अँधेरों कोस्पर्श कररूह में उतरने लगती हैंहाँ,आपकीकविताएँ पढ़करअक्सर यही ख़्याल आता है
इतंजार का मौसम [अनुशीर्षक में...] -
इतंजार का मौसम [अनुशीर्षक में...]
स्वप्निल राहों परकुछ पलों का काल्पनिक स्पर्श यथार्थ की दूरियों को कम कर देता है ।(आनुशीर्षक में पढ़े )अदिति सिंह 'पवित्रा'— % & -
स्वप्निल राहों परकुछ पलों का काल्पनिक स्पर्श यथार्थ की दूरियों को कम कर देता है ।(आनुशीर्षक में पढ़े )अदिति सिंह 'पवित्रा'— % &
स्त्रियाँ लिखती आ रही हैं सदियों से उन पुरुषों के कृत्य जो उनके अश्रुओं की वजह बनते रहे..!और वो पुरुष सदा ही उपेक्षित रहेजिन्होंने अपने काँधे पर सर रखसिसकती स्त्रियों की वेदना के अश्रुओं को अपने हृदय में सोख लिया..!( अनुशीर्षक में पढ़े ) -
स्त्रियाँ लिखती आ रही हैं सदियों से उन पुरुषों के कृत्य जो उनके अश्रुओं की वजह बनते रहे..!और वो पुरुष सदा ही उपेक्षित रहेजिन्होंने अपने काँधे पर सर रखसिसकती स्त्रियों की वेदना के अश्रुओं को अपने हृदय में सोख लिया..!( अनुशीर्षक में पढ़े )
जिंदगी का यथार्थ और मनोभावों का कृष्ण विवर हैं आपकी रचनाएँ.!अदिति सिंह पवित्रा -
जिंदगी का यथार्थ और मनोभावों का कृष्ण विवर हैं आपकी रचनाएँ.!अदिति सिंह पवित्रा
सुख और दुःख मंदिर की परिक्रमा करती हुई दो रूहें दोनो अलग इस कदर कि उत्तर दक्खिनऔर दोनों का मिलन ऐसा किएक ही दरिया में दोनो राहगीर किनारें ढूंढें ..!सुख में इतना दुःख बचा ही रह जाता है जैसे दिसम्बर में बचा रह जाये थोड़ा सा नवम्बर ।अदिति सिंह 'पवित्रा' -
सुख और दुःख मंदिर की परिक्रमा करती हुई दो रूहें दोनो अलग इस कदर कि उत्तर दक्खिनऔर दोनों का मिलन ऐसा किएक ही दरिया में दोनो राहगीर किनारें ढूंढें ..!सुख में इतना दुःख बचा ही रह जाता है जैसे दिसम्बर में बचा रह जाये थोड़ा सा नवम्बर ।अदिति सिंह 'पवित्रा'
प्रेमिका के लिए प्रेमी की आवाज़ हीइस दुनियां का सबसे मधुर संगीत हैं।अदिति सिंह 'पवित्रा' -
प्रेमिका के लिए प्रेमी की आवाज़ हीइस दुनियां का सबसे मधुर संगीत हैं।अदिति सिंह 'पवित्रा'
उदासियाँ छिटक कर लाँघना चाहती है पीड़ा की परिधिउधर प्रेम स्मृतियों की कंदराओं मेंवक़्त के कांधे पर सर रखकर प्रेमी की हथेलियों पर जीवन के गीत लिखता रहता है..! -
उदासियाँ छिटक कर लाँघना चाहती है पीड़ा की परिधिउधर प्रेम स्मृतियों की कंदराओं मेंवक़्त के कांधे पर सर रखकर प्रेमी की हथेलियों पर जीवन के गीत लिखता रहता है..!
प्यारी प्यारी बातें उसकी प्रेम सुधा रस बरसाये..!चेहरे पर मुस्कान सहेजेसबको अपना कर जाएं।आँखों की चंचलता मेंदर्द वो गहरे छिपा जाए.!छोटी छोटी बातों में वोजीवन का राग सुना जाये।सबके चेहरे पर हो मुस्कानधर्म वो अपना बता जाए।खुशियां बिखरे उसके जीवन मेंसफलता का वो पर्याय बन जाये। -
प्यारी प्यारी बातें उसकी प्रेम सुधा रस बरसाये..!चेहरे पर मुस्कान सहेजेसबको अपना कर जाएं।आँखों की चंचलता मेंदर्द वो गहरे छिपा जाए.!छोटी छोटी बातों में वोजीवन का राग सुना जाये।सबके चेहरे पर हो मुस्कानधर्म वो अपना बता जाए।खुशियां बिखरे उसके जीवन मेंसफलता का वो पर्याय बन जाये।