अदिति सिंह 'पवित्रा'   (Aditi singh)
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जीने को एक लम्हा..... काटने को एक सदी ..... शायद
यही है ज़िन्दगी ..❤️❤️
Joined 9 December 2019


जीने को एक लम्हा..... काटने को एक सदी ..... शायद
यही है ज़िन्दगी ..❤️❤️
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कविताएँ
मन का एकांत
टोहती हैं
और आत्मा के अँधेरों को
स्पर्श कर
रूह में उतरने लगती हैं

हाँ,आपकी
कविताएँ पढ़कर
अक्सर यही ख़्याल आता है


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इतंजार का मौसम


[अनुशीर्षक में...]






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स्वप्निल राहों पर
कुछ पलों का काल्पनिक स्पर्श
यथार्थ की दूरियों को
कम कर देता है ।

(आनुशीर्षक में पढ़े )

अदिति सिंह 'पवित्रा'


— % &

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स्त्रियाँ लिखती आ रही हैं सदियों से
उन पुरुषों के कृत्य जो उनके
अश्रुओं की वजह बनते रहे..!

और वो पुरुष सदा ही उपेक्षित रहे
जिन्होंने अपने काँधे पर सर रख
सिसकती स्त्रियों की वेदना के अश्रुओं
को अपने हृदय में सोख लिया..!

( अनुशीर्षक में पढ़े )

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जिंदगी का यथार्थ
और
मनोभावों का
कृष्ण विवर हैं
आपकी रचनाएँ.!

अदिति सिंह पवित्रा

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सुख और दुःख मंदिर की परिक्रमा
करती हुई दो रूहें

दोनो अलग इस कदर कि उत्तर दक्खिन
और दोनों का मिलन ऐसा कि
एक ही दरिया में दोनो राहगीर
किनारें ढूंढें ..!

सुख में इतना दुःख बचा ही रह जाता है
जैसे दिसम्बर में बचा रह जाये
थोड़ा सा नवम्बर ।

अदिति सिंह 'पवित्रा'

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प्रेमिका के लिए
प्रेमी की आवाज़ ही
इस दुनियां का सबसे मधुर
संगीत हैं।

अदिति सिंह 'पवित्रा'








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उदासियाँ
छिटक कर लाँघना चाहती है
पीड़ा की परिधि
उधर प्रेम स्मृतियों की कंदराओं में
वक़्त के कांधे पर सर रखकर
प्रेमी की हथेलियों पर
जीवन के गीत लिखता रहता है..!

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प्यारी प्यारी बातें उसकी
प्रेम सुधा रस बरसाये..!

चेहरे पर मुस्कान सहेजे
सबको अपना कर जाएं।

आँखों की चंचलता में
दर्द वो गहरे छिपा जाए.!

छोटी छोटी बातों में वो
जीवन का राग सुना जाये।

सबके चेहरे पर हो मुस्कान
धर्म वो अपना बता जाए।

खुशियां बिखरे उसके जीवन में
सफलता का वो पर्याय बन जाये।

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