एक विनम्र अनुरोध 🙏🙏
किसी भी बच्ची या लड़की का पिता हर जगह मौजुद नही रह सकता , कोई भी लड़की हर वक्त अपने पिता या भाई के साथ
नही हो सकती है लेकिन जहां एक बेटी होती है वहा मर्द के रूप में कोई न कोई पिता वा भाई जरूर मौजुद होता है, आप किसी और कि बच्ची की सुरक्षा प्रदान करे क्योंकि कहीं कोई और आपकी बच्ची को सुरक्षा प्रदान करेगा......
सरकार का भरोसा छोड़िए , आइए हम सब मिल जुल कर
खुद ही बनाए " बेटियों के लिए एक सुरक्षा चक्र "
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मेरे डर पर मेरे बापू का यह कहना है ...
मुझे किसी के खौफ में नहीं जीना ,मेरा नाम ही जगत बहना है ...
वो कहते हैं ,जो कभी दरिंदे गलत मंसूबे से तेरे पास आएंगे ...
तो देखना मेरे बच्चे !तेरी भोली मुस्कान पर वह भी तेरे भाई बन जाएंगे...
अब कौन समझाए मेरे बापू को,😓
की अगर उनमे इंसानियत होती,तो वह ऐसे रास्तों पर नहीं चलते...
अरे ऐसे जालिम दरिंदे कभी किसी के अपने सगे नहीं बनते...-
जलन
जलने वालों की भी अपनी एक कहानी है।
दूसरों के दुख से ज्यादा सुख से परेशानी है।
कदर नहीं करता कोई दूसरे की भावनाओं की।
उन्हें आदत है बस तमाशबीन बनकर देखने की।
करना चाहते हैं खुद का वर्चस्व स्थापित वो।
इसलिए दूसरों की कामयाबी देख जलते हैं वो।-
पहले जंगलों में शिकार होता था
अब जंगलों का शिकार होता है
उन्हीं की निगरानी में कटते हैं पेड़
सुरक्षा का जिनपे भार होता है-
यदि सुरक्षाएं समय से पूर्व ही कर ली जाए तो भविष्य में दुर्घटनाओं की संख्या शून्य हो सकती है।3।
If the safety is done ahead of time, then the accidents can be zero in future.-
'क्या डरना ज़रूरी है?'
जब सड़क पर चलूं तो तुम्हारी निगाहों से
क्या डरना ज़रूरी है?
अकेले कभी सुनसान में तुम्हारी आहट से
क्या डरना ज़रूरी है?
भरी धूप में मेरा पीछा करती हर परछाईं से
क्या डरना ज़रूरी है?
(कविता अनुशीर्षक में पढ़ें)
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सङक नियम का पालन करना,
गाङी पर तुम धीरे चलना,
पैदल सबको जानें देना ,
जेब्रा-क्रांसिग, पर जब रूकना ।।1।।
हेलमेट पहनकर सर बचाना,,
वरना, फिर यम दर्शन पाना,,
घर पर सुरक्षित आना है ,,
मम्मी के संग खाना है ।।2।।
सीट बैल्ट पहनकर ही,,
कार को चलाना भैया जी,
फोन पर मत बातें करना,,
चालन-चक्का हाथ में रखना ।।3।।
सङक पर गाङी को चलाना,
फूटपाथ पर कभी मत जाना,
चिन्ह का तुम पालन करना ,
ओवरटेक कभी मत करना ।।4।।
मेरे प्यारे भाई बन्धु ,,,
एक निवेदन करता हूँ,,,,
गाङी को धीरे चलाओ ,,,,,
घर पर तुम सुरक्षित जाओ ।।5।।
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न कोई दवा है न कोई दुआ है
जो तुझे बचाएगी
मास्क और दूरी ही सिर्फ वो एहतियात है
जो अब तुझे सुरक्षित रख पाएगी-
इंसानों की हरकते देख कर भगवान भी डरने लगा है,
जानवरों से नहीं ,मुझे इंसान से डर लगने लगा है,
इंसानों के बेश में जो दरिंदे घूम रहे हैं,
घर से निकलने में डर लगने लगा है,-