जब जब करती हूं आपकी भक्ति
आप मुझे हर दिन देते हो एक शक्ति
मन में एक नई उमंग के साथ
करती हूं अपने सुबह की शुरुवात
दुनिया में कोई अकेला नहीं हैं।
बस आप सब किया करो महादेव की भक्ति
महादेव हैं अन्तर्यामी जानते हैं सबकी बात
मांग लेना जो भी मन हो इनसे
ये कभी नहीं करते अपने भक्तो को निराश
मांगने पर कुछ ना मिले तो भक्तो
थोड़ा सा कर लिया करो इंतज़ार
मिलेगा तुझे हर वो चीज
बस थोड़ी प्रतीक्षा कर लिया करो
हर हर महादेव 🙏🙏-
शायद वो सावन भी आए
जो पहला सा रंग न लाए
बहन पराए देश बसी हो
अगर वो तुम तक पहुँच न पाए
याद का दीपक जलाना
भैया मेरे, राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे, छोटी बहन को ना भुलाना
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बरसात तो बेशुमार हुई मगर सावन नहीं आया,
अबके बरस भी लौट के मेरा साजन नहीं आया!
मेरी आँखों में छुपा है तेरा ही होने का उजियारा,
दिल में रहा सदा चाँद, पर मेरे आँगन नहीं आया!
बारिश की थी रिमझिम पर बदन में आग कायम,
जिस्म से तू था हाजिर पर मुझे सुकूँ नहीं आया!
बारिश की उम्मीद में, मैं चातक सरीखी बन गई,
पर स्वाति नक्षत्र में भी तू, बूंद बनकर नही आया!
तुमसे जो मोहब्बत की तो मैं दुनिया भी छोड़ दी,
फिर भी तू कभी, मेरा थामने दामन नहीं आया!
मेरी मौत भी बेबस है अब, आ के तेरे दर पर भी,
फिर भी जान कह रही है, मेरा जानम नहीं आया!
विरह के जख्म अब तो नासूर में तब्दील होने लगे,
एक बार भी "राज" तू मरहम बन कर नही आया! _राज सोनी-
स्वागत है उस मचलते से # सावन का जो हर्ष उल्लास
का प्रतीक माना जाता है ...🤗🤗🤷🤷-
हर किसी के जीवन में लाए एक नया उमंग
बारिश के साथ मिलकर चलो करते हैं
कुछ हसीन पलो को याद
कुछ बचपन की यादें होंगी
कुछ हमारे प्यार की बाते होंगी
और इस रिमझिम रिमझिम बारिश
में उनसे मुलाकात भी हमारी होगी।
ना छाते की जरूरत होगी
ना रेनकोट की जरूरत होंगी
उनके हाथों में मेरा हाथ हो
और एक गर्म प्याले की चाय हो
बस इतनी ही हमारी जरूरत होगी।
कुछ वो बताएंगे कुछ हम बताएंगे
फिर हम दोनों की ऐसी ही प्यार भरी बातें होंगी
फिर हम भी कर देंगे उनको propose
चलो देखते हैं उनका जवाब क्या होगा?
सावन के उल्लास के साथ हमारे प्यार की
नई शुरुवात होंगी।
😜😜😜😜
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या शिव रचित विनाश है
गृह कारावास हमें और प्रकृति को इंसाफ है-
सावन में कुछ यूँ... दिल का मर्म निकलता है
हर शै में.. उसके होने का भरम निकलता है,
सुबह-सुबह ही पलकों पे.. ओस सी है
यह कहाँ काफ़िलों में बूँद-बूँद उसका गम निकलता है,
बारिश में देखकर ख़ुद को तन्हा.. यूँ लगे
जैसे बादलों में.. सूरज का दम निकलता है,
कमबख़्त.. बहुत दिनों से देखी नहीं धूप मैंने
और मेरा साया भी मेरे साथ आजकल बहुत कम निकलता है,
सावन में कुछ यूँ... दिल का मर्म निकलता है
हर शै में.. उसके होने का भरम निकलता है..!-
Oo sawan Badalon se keh do, Jara soch samjh kar barse, Agar mujhe unki yaad aa gayi, To mukabla barabari ka hoga...
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पहले बारिश की बूंदे तेरी याद दिलाती थी
अब तेरी यादें ही अश्कों की बारिश लाती हैं..-