ताउम्र पता ही ना चला के मुझे करना क्या है,
ज़िन्दगी का मक़सद क्या है औऱ अरमां क्या है,
आसां सा सफऱ था पानी का दरिया तक,
जब ठोकर खाई तो पता चला झरना क्या है,
यूँ तो ख़्वाइशों से हम भी लड़ सकते थे मग़र,
छोड़ो.., यूँ बेवजह अपनों से लड़ना क्या है,
ग़र सांस औऱ रूह में बनती नहीं अग़र,
फिऱ किस काम की हवा भी यह बरना क्या है,
उसके आने से ही पता चला मुझे ज़िन्दगी का,
उसके जाते ही समझा के मरना क्या है.!-
डर तो मुझे धोखा देने वालों से भी नहीं है
पर धोखे से दिल लगाने वालों से है!!-
सुनो ना...
ना अब मंजिल है कोई,ना कोई रास्ता है
आरजू बुझी है,वक्त खफ़ा है
जब से नाराज़ हो कर चली गई हो तुम
हम तुम्हें ढूंढ़ते है,और दिल हमे ढूंढ़ता है
अकेले है चले आओ,जहां हो
मेरी उलझनों को और मत बढ़ाओ
सहज हो कर चले आओ
कुछ नहीं कहूंगा मैं,सरल होकर मिलूंगा मैं
काश तुम भी हो जाओ,तुम्हारी यादों की तरह
ना वक्त देखो,ना बहाना
बस मेरे प्यार को समझो
बस एक बार पास चले आओ
मेरा ये दिल कह रहा है...!
-
सफलता
की राह में
आने वाली हर
बाधा को यदि सफलता
की एक सीढ़ी समझें तो
सफलता की राह सरल लगेगी।-
Or samajh liya jo kise ne hame ek baar,
Ba-khuda vo aage galat kaam karne se darenge.
Jeevan mera vese to hai ek khuli kitab,
Padh liya jo sabne to sab ache karam karenge.
Mai to chahti hu ki mujhe samajh sab rubaroo ho jaye,
Paap ka ghada chhod sab pundya ka ghada tb bharenge.
-
फूलों की तरह कोमल,
जल की तरह तरल हो जाओ।
मौखिक याद रहें सबको,
आइये इतने सरल हो जाओ।।-
माना कि ज़िन्दगी, गुजर रही है कठिनाइयों से,
इसे बनाना है बेहतर, मेहनत और अच्छाइयों से।-
सांवली सी लड़की हुं🙈
चाय की दिवानी☕
😝सरल स्वाभाव की हुं
सादगी भी है थोड़ी सी
-
कभी इन आँखों में अश्क़ लाती है
कभी इन लबों पर ख़ुशी भी वो
कभी गुस्सा करके दिल दुखाती है
फ़िर नौटंकी कर हँसाती भी वो
कभी मुझे चिढ़ के अकड़ू कहती है
कभी सबसे सरल बताती भी वो
कहती है मुझे बोलने का सलीका नहीं
कभी सबसे सौम्य बताती भी वो
कभी गुस्से में मुझे छोड़ चली जाती है
कभी ख़ुद मुझे पकड़ लाती भी वो
कभी मास्टरनी बन कर डाँट पिलाती है
कभी ख़ुद बन जाती बच्ची भी वो
कभी बन मेरी चारागर मुझे दवाई देती है
कभी ख़ुद लापरवाह बीमार भी वो
कभी दर्द कभी घबराहट बैचैनी है कभी
मेरा चैन-सुकूँ मेरी 'ज़िन्दगी' भी वो
- साकेत गर्ग 'सागा'-