समय संबंधों पर भी हावी हो जाता है कई बार,
ठीक भी है अक़्सर यह दवा सा असर करता है।-
"समय चक्र"
समय चक्र ने सदियों से,इतिहास बदलते है देखा,
उगता रवि यदि देखा ,ढलता सूरज भी निरखा।
देखा सजते सिंहासन, स्वर्ण मुकुट सिर पर देखा,
देखा रक्तक्षुधित राजा,हारित बल भी फिर देखा ।।
धूमधाम से मंगल गाये ,यम को फिर हँसते देखा ,
समय चक्र ने सृष्टि की,हर स्थिति बदलते देखा।।
अंकुर बरगद बना कभी जब,अंकुर ने बरगद को छला,
निर्धन ठग वो इठलाया ,निर्बल खुद पर गया झुँझला।।
गंग-जमुन की पाक गति , प्रलय को भी आते देखा ,
समय चक्र ने आदि सृष्टि से,भाँति भाँति रोड़े देखा।।
अजरों को झरते देखा , नव कोंपल को मरते देखा ,
भाई भाई का शत्रु बना, अपनों से छल करते देखा।।
घोसलों में पलता जीवन, सागर का वो करुण रुदन,
ऋषियों मुनियों को अंजुरी में ,सागर को पीते देखा।।
जो चला समय के साथ,समय सदा ही साथ चला,
न्याय सदा करता है वो ,भूले से न अन्याय किया ।।
मद में भरकर जिसने भी ,खुद को स्वंय ही है छला ,
समय चक्र ने क्रोधित हो,उसको दण्ड अवश्य दिया।।
सुधा सक्सेना(पाक रूह)
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वक्त था जब सच्चा,कमबख़्त हम ही ना थे अच्छे...
हुए जो हम अच्छे तो वक्त....???
अब क्या कहे वक्त को,शायद यूं समझ लो के...
वक्त ने ही कर दिया अच्छा हमें!-
तुम्हें ये तुम ही जानो ,
अच्छा क्या और बुरा क्या है ?
मैं तो कर्म पे चलता हूँ
जो भी करोगे वापस जरूर आयेगा...
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क्योंकि बच्चों का मन विचार माँ के साथ रहते हैं
इसलिए...जो बच्चे आज अपनी माँ को बेचारी
महान तथा नानी,नाना, मामा, मौसी को अच्छे एवं चाहने वाले समझते हैं साथ ही माँ के सुनाए अतीत के भड़काऊ किस्सों से दादी,दादा ,बुआ,चाचा को बुरे या गलत मानते हैं ..
वो....याद रखना...
एक दिन तुम्हारे अपने बच्चे भी इसी तरह अपने
नानी मौसी माँ मामा को न सिर्फ चाहेंगे बल्कि वही तुम्हारी भोली बेचारी माँ की पोल खोलेंगे,यानि कि अपनी दादी को चुडैल बताएँगे..
ये न सोचना हमारे साथ नहीं होगा...समय चक्र में घुमता है..लौटकर सुई आएगी जरूर।-
""ये तो वक्त वक्त की बात है""
कभी-कभी काम नहीं होता
हालत यूं बिगड़ जाते हैं....
और कभी इतनी व्यस्तजीवनशैली होती है, कि
चौबीस घंटे भी कम पड़ जाते हैं...-
समय प्रतीक्षा कब करता है, जब हम दानव के सामने खड़े
होते हुए भी मानव की जय करते हैं।-
समय-चक्रव्युह
दौड़ रहा है समय का पहिया
कोई न इससे बच पाएगा।
अब भी वक्त है संभल जा तू
फिर वक्त संभलने का न मिल पाएगा।
क्यो भाग रहा तू स्वार्थ के पीछे?
सब कुछ यँही रह जाएगा।
कोई न इससे बच पाया है
कोई न इससे बच पाएगा।
थकता नहीं है,रुकता नहीं है
समय है ये ,
किसी के आगे झुकता नहीं है।
निरंतर,पल-पल बढ़ता जाएगा।
अब भी वक्त है संभल जा तू
फिर वक्त संभलने का न मिल पाएगा।
केवल समय चक्र नहीं
ये चक्रव्युह है समय का
कोई न इससे बच पाएगा।
जीता है जो औरो के लिए
बस वही अमर अभिमन्यु कहलाएगा।-
'"विपरीत हैं परिस्थितियां
सब्र रखना टल जाएंगी
ये बोझिल सुबहें
ये निराश शामें भी ढल जाएंगी
टूटने न देना हिम्मत
वरना ये काली रातें
तुझे निगल जाएंगी
कुछ देर की ख़ामोशी है जरूर
लेकिन जल्द सुनहरी भोर निकल आएँगी
एकांत न खोजना
तू सम्पूर्ण है खुद में
यकीन रख उस प्रभु पर
एक दिन स्वच्छ किरणें सूरज की
तेरी आँखे मल जाएंगी
ये तो तेरा मन भी है जानता
समय कभी न रहा एक सा ये भी है मानता
पहिया घूमेगा काल का जरूर
तमाम बुरी शक्तियां
हमेशा की तरह छल जाएंगी
जीत होगी सबकी इस बुरे समय से
पराजित होंगे ये बैरी
हमारी जीत का तोहफ़ा ये हमें
एक नया खूबसूरत दौर दे जाएंगी...."
सारिका जोशी नौटियाल"सारा"
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