दिल के Locker में
रखकर तुझे,
चाभियाँ कहीं दूर,
गहरे सागर में फेक दिया है मैनें।-
शब्द नहीं,मैं जज्बातों को लिखता हूँ।
मुखौटे उतार दो अपने-अपने,
की अब खेल खत्म हो गया है।
हर अपने में छिपे बेगानों को मैने,
अब अच्छी तरह पहचान लिया है।-
धन्य धन्य ये धरा हुई है,
धन्य हुआ ये आसमान।
धन्य धन्य जन-जन हुए है,
धन्य हुआ ये जहान।
धन्य धन्य मेरे चित्त आनंदित,
धन्य हो जय जय श्री राम पुकारे।
धन्य धन्य मेरे नैन हर्षित,
धन्य राघव के रुप निहारे।
धन्य धन्य ये मेरा जीवन देख,
धन्य मेरे आराध्य अपने धाम पधारे,
धन्य धन्य मेरा मन गदगद,
धन्य हो जय जय श्री राम पुकारे।-
एक आभा सी फैल रही है,
चहुँओर हरीयाली है।
मर्यादा पुरुषोत्तम के आने से पहले,
की मानों ये खुशहाली है।-
मेरे सपनों की एक नदी बहती है।
कलकल करती जिसकी ध्वनि,
मुझे जागे रहने को कहती है।
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"रंग"
वो एक रंग प्रेम का ले आना तूम,
गालों को रंगीन करने के लिए|
वो एक रंग खुशी का ले आना तूम,
हर एक के मन पे छाने के लिए|
वो एक रंग विश्वास का ले आना तूम,
कमजोर कभी न पडने के लिए|
वो एक रंग प्रयास का ले आना तूम,
आखरी दम तक संघर्ष करने के लिए |
वो एक रंग जीत का ले आना तूम,
मिलकर आगे बढने के लिए|
और रंग कुछ ऐसा ले आना तूम
कि हर कोई चाहे तेरे ही रंग मे रंगने के लिए|
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