ज़िंदगी की सच्चाइयाँ
सिखाती हैं झूठ बोलना-
तू जल जाएगा कुछ पल में,
कुछ पल का प्रतिशोध होगा,
तू मिट जाएगा मिट्टी में,
बस कुछ अपनो को बोध होगा।
पलभर की ये बात होगी,
फिर बस ये ढोंग होगा,
फूलों से जड़ित होगी तस्वीर तेरी,
तब ना कोई तेरा दोस्त होगा।
हर अवशेष जब राख़ होगी
ना समेटने वाला कोई होगा,
एकत्व ही ये जीवन है,
तब इस सच्चाई का शोध होगा।
M.J.
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झूठ के पहाड़ों में दफ़न हो कर भी
अच्छाई ज़िंदा रहती है
बुराई की ताकतों में जकड़ कर भी-
इंसान की आँखो में दो बाते,
साफ-साफ नजर आती है।
1.इंसान की सच्चाई ।
2.इंसान का छल।-
अपनी बेटी पर ऊँगली भी
उठाने नहीं देने वाले लोग-
दुसरो की बेटिओ का तमाशा बना देते है !!-
पसन्द उसे करो जो परिवर्तनों के बाद भी छोड़ कर ना जाए,
वरना अक्सर बदल जाते हैं लोग तुममें तब्दीलियाँ लाकर!-
रात सी अंधकार दिन की सूरज में खाे गई
गरीब की कुटिया थी भूखे ही साे गई
कहा जब किसी ने इसकाे कहीं ये बात
दुनिया इसे धर्म-जात राजनिति कह घाेट गई
साेच समझ कर करना अब कहीं भी बात
पढ़ना पहले अपना नाम
फिर करना कहीं गरीबाें के हक की बात
अभी यही ट्रेंड है दस्तयाबी वफादारी की
कहे जाे भी सुन लाे मशीनरी सरकारी-
नग्नता हमारे शरीर की नहीं,
विचारों की उपज है।
जो पनपती है
गूढ़ता का नाम लेकर,
और बढ़ाती है दायरा
समाज के बनावटी ढकोसलों का,
क्योंकि ये दिखाती है वो चेहरे
जो असल में इस समाज में
वास करते हैं,
कभी अच्छाई का नाम लेकर,
तो कभी रिश्तों का....🍁🍂-
यह कुछ पल का सुकून देता है
पर कई सालो के रिश्ते तोड़ देता है।।
सच्चाई मुह पर कहो
ये रिश्तों में कड़वाहट लाती है
पर झूठी तसल्लिया तो नहीं दिलाती है।।
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