यदि ईश्वर मनुष्य से
संवाद करता...
तब शायद संगीत की
भाषा होती,
सुरों के शब्द होते,
रागों में वाक्य कहता,
ईश्वर यदि मनुष्य से
संवाद करता!-
ज़िन्दगी ख़ुशियों की "गीत" है
हम सबकी बस यही तो मीत है
जी लो इसका हर लम्हा लोगों
अपनी धुन में बजता संगीत है
कभी भी इसमें बिरह न भरना
यह तो बस दुखियन की रीत है
मुस्कान से दिलों में रहना "आरिफ़"
हँसकर ही अब दुनिया की जीत है
सच कहता है अब "कोरा काग़ज़"
कलम से दिखता सबका अतीत है-
" सुव्यवस्थित लय , स्वर ध्वनि से रस सृष्टि
संतुलित संबंध करे वह संगीत कहलाता है "-
संगीत ही तो है जो
शब्दो को मधुर और सुरीला बनाता है
कभी कभी
मन को इतनी खुशी दे जाते है तो
कभी संगीत को सुन अपनी ही दुनिया
में खो जाते है ।।
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मेरी नफ़रतों को आग लगाकर चले गये
ज़िन्दगी मेरी वो ख़ाक बनाकर चले गये
अब किसी राह की तमन्ना नहीं मुझको
कदमों के सारे निश़ान मिटाकर चले गये
हम भूल ही नहीं पाये उनकी ख़ुदगर्ज़ियाँ
खुश़बू इक ऐसी अब वो उड़ाकर चले गये
जाकर उनको मेरा इक पैग़ाम दे दो लोगों
मुझको वो क्यों आईना दिखाकर चले गये
'संगीत' सा सजाया उनको मैंने अपने मन में
वो पास आये और बस मुस्कुराकर चले गये
अब मेरा किसी से कोई वास्ता नहीं "आरिफ़"
सारे रिश्तों को वो अब झूठा बताकर चले गये
लिखने बैठा उनके प्यार में कुछ "कोरे काग़ज़"
कलम मेरी वो मेरे हाथों से गिराकर चले गये-
मातृभूमि प्रेम से भरा हुआ मैं गीत हूँ
शौर्य से सजा हुआ विजय का मेैं संगीत हूँ
काल के कपाल पर विजय की मैं गुलाल हूँ
अधर्म अनाचार पर प्रहार हूँ प्रहार हूँ
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ
मै हिंद के रक्षकों का वंशज हूँ
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छन-छन करते है शब्द मेरे तुझे लिखने पे,
छूके तुझे जानां संगीत होना चाहती हूँ मैं ।-
संगीत
अनंत है,
हर जगह है,
दिल की धड़कन में भी,
झरने के कल कल में भी,
कोयल की कूक में भी,
पपीहे की हूक में भी,
पत्तों की सरसराहट में भी,
झींगुर की झनझनाहट में भी,
रात के सन्नाटे में भी,
भोर के उजाले में भी,
अनंत रूप संगीत के,
हर हृदय में विद्यमान है।
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संगीत जीवन के दुःख सुख का साथी हैं
संगीत एक अकेले इंसान के लिए सुकून हैं
सात सुर ना हो तो जिंदगी के सात रंग भी फीके हैं
इंसान कैसे संगीत सुनता है इससे उसके हाल-ए-दिल का पता चलता है
संगीत से हम वो बात कह देते हैं जो हम जुबान से नहीं कह पा रहे होते हैं
तो हम कह सकते हैं कि संगीत जीवन का आधार है!!
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