मुझे आज भी याद है तुम्हारा
पहली बार शर्मा के बात करना-
कुछ तो था हमारे दरम्यान,
तुम्हारा यूँ मुझे देख शर्मा कर चले जाना,
बेमतलब तो नहीं!
-
आज चाँद भी बादलों का सहारा लेकर लुक्का-छुप्पी खेल रहा है..
शायद तुमको देख कर शर्मा रहा है ।।😊😇-
शर्मा...यूँ ही आकर्षक नहीं होते
सूरत सीरत स्वभिमान ये हैं शर्मा की पहचान
एक राजा के दरबार में चार मित्र थे ,एक मोची राजपरिवार के जूते बनाता था,एक चौधरी राजसेना में सिपाही था,एक सेठ राजमहल की जरूरत की चीजे़ उपलब्ध कराता एक शर्मा राजा के माँगलिक कार्य देखता
था।राजमहल के रत्नजड़ित आभूषणों पर मोची की नीयत फिसली ..परामर्श के बाद चारों मित्रों ने चोरी की योजना बनाई..चारों चोरी करते पकड़े गये ।राजा ने चारों को सजा सुनाई..मौची के हाथ काट दिये जाएँ,चौधरी को सेना से निकाल दिया जाए,सेठ को राज्य से निकाल दिया जाय और शर्मा को यह कहकर छोड़ दिया कि ..आप से ऐसी उम्मीद नहीं थी!...राजा के इस फैसले से दरबारी मंत्री नाराज कि आपने सजा देने में भेदभाव किया है..तो राजा ने कहा..तीन महींने बाद आप इन सबसे मिलना तब कहना कि भेद किया है..तीन महीने बाद..मंत्री ने मोची को मंदिर के बाहर भीख माँगकर धन अर्जित करते देखा हाथ न होने से उसे खूब भीख मिल रही थी,चौधरी दूसरे राज्य की सेना में भर्ती हो चुका था..सेठ ने दूसरे राज्य में व्यापार शुरू कर दिया..और जब मंत्री शर्मा के घर पहुँचे तो पता चला आज शर्मा की मृत्यु की तिमाही है
मंत्री समझ गया राजा का फैसला सही था ..शर्मा जी के लिए सबसे बड़ी सजा दी गयी..क्योंकि शर्मा.. आत्मसम्मान के धनी होते हैं..संगतिवश हुई भूल की शरमिंदगी सह नहीं पाते।
-
मैं झुकी नजरों से उनका दीदार करती रही,
शर्मा गई जब उन्होंने कहा अब नजरें तो उठा लो।-
जब जब देखूँ तुझको
मन मोरा बावरा हो जाता है
ऐसा क्या है तुझ में "मीता"
पलकें भी झुकी सी जाती हैं
खुद से ही शरमा जाते हैं
खुद पर ही इतरा जाते हैं
तेरी बाँहों में समाने को
मन मोरा बावरा हो जाता है
जब-जब देखूँ तुझको.....!-
कुछ रिश्ते होते हैं रूठने और मनाने के लिए
कुछ दिल बनाये ही जाते हैं तोड़े जाने के लिए-
"इस खू़बसूरती का राज़ क्या है?"
वो ये रोज़ हमसे पूछा करते
हम भी हर बार शरमा कर नज़रें झुका लिया करते
ना जाने उस दिन क्या हुआ
हमने नज़रें मिला कर कह दिया
"इस खूबसूरती का राज़ तो तुम्हारी नज़रों में है"
उस दिन वो शरमाये
और हम थोड़े और ख़ूबसूरत हो गए।-
अंधकार से उजाले तक ले जाने वाले
आयोग्य से योग्य बनाने वाले
सुंदर भविष्य सजाने वाले
एक शिक्षक ही होता है जो
हमारे जीवन शैली को बदलता है।
जिंदगी में अब तक जिन्होंने
पढ़ाया कुछ सिखाया ऐसे
गुरु जी के लिए सादर चरण स्पर्श
श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
खुद से खुद तक
सोहित शर्मा (बरेली)
-
शर्मा के घर वर्मा गए शर्मा गया शर्माय
वर्मा सोचे 🤔
ऐसा क्या हुआ जो शर्मा मुझसे शर्माय
शर्मा सोचे 🤔
ऐसा क्या कहें जो बात मेरी बन जाय
वर्मा बोला
अबे शर्मा तू मुझसे क्यूं रहा लजाय
शर्मा बोला ऐसे ही, हैप्पी न्यू ईयर भाय
और पहने चढ्ढी वर्मा की शर्मा रहा नहाय 😜
- नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉-