QUOTES ON #विकसित

#विकसित quotes

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14 APR 2020 AT 21:46

श्रेस्टा की रचना पूर्ण जीवंत हैं
यहां कोई प्रतिस्पर्धा नहीं
केवल पूर्ण विकसित जीवन है
वास्तविकता से परे का कोई निर्माण नहीं
यह रचना अंत से परे है
बूंद आकार लेते ही ,अस्तित्व भी खो देती है
यहां शोर नहीं प्रकृति का संगीत है
दृश्य आत्म , भोर है
स्थिरता का समयकाल नहीं
आवाज है शव्द नहीं
कोई भेद कोई शंका नहीं
पूर्ण क्षमता से विकसित जीवन
परे है हर भ्रम से
हर रूप में स्विकार्य है
यहां केवल जीवन है
जीवन जो पूर्ण विकसित है ।

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हमारा देश हमें अपनी जान से भी प्यारा है
बहती जिसमें हम सभी की जीवन धारा है ।

विकसित ,सम्रद्ध और महान ये राष्ट्र बने
ऐसी हम सभी की एक आशा है ।

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तेरे नयन सरोवर में
मैं निश्चल भाव लिए
पुष्प जलज सी
विकसित हुई
तू सुवासित
होने देना
मेरी प्रीत को
अपने हृदय में...

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24 AUG 2024 AT 21:02

तुम्हारे प्रति "प्रेम" हमारे "ह्रदय" की गोपनीयता में विकसित हुआ है।
यह धीरे- धीरे विशुद्ध होकर समय के साथ सशक्त होता जा रहा है..!

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3 FEB 2019 AT 16:10

हमारा हिन्दुस्तान एक हिन्दु राष्ट्र बने या ना बने,
एक विकसित राष्ट्र बनना चाहिए|
और हम रहे या ना रहे,
हमारा हिन्दुस्तान रहना चाहिए||

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28 SEP 2020 AT 9:17

वो देश क्या विकसित होगा
जब युवा ही बेरोजगार होगा
अनपढ़ के हाथों में सत्ता
और पढ़ने वाला ही लाचार होगा
जहां शिक्षा में होता है रोज सौदा
शिक्षक के साथ शिक्षार्थी भी बेबस और लाचार होगा।
पढ़ लिख युवा जब सोचे अब नौकरी की है मेरी बारी
तो फैसला भविष्य का जा कोर्ट के अधीन होगा
जहां बाप की खेती बिके और मां का भी जेवर गया
वर्षों कमाई कि पूंजी हर रोज मुकदमों के नई तारीखों में गया
ना नौकरी लगी और उम्र बीत भी गई जो आस बची थी वो सारी टूट सी गई


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23 AUG 2022 AT 16:43

कभी-कभी "ऐसा प्रतीत होता है कि संसार पीछे की ओर जा रहा है और खुद को घृणा के द्वारा नष्ट कर लेगा। परंतु निश्चित रूप से संसार उन्नति की ओर बढ़ रहा है, निरंतर रूप से विकसित हो रहा है और अच्छा ही होता रहा है।"
काली पृष्ठ-भूमि पर सफेद रंग स्पष्ट दिखाई देता है उसी प्रकार बुराई रुपी पृष्ठ -भूमी पर अच्छाई स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
ईश्वर का प्रकाश घोर अन्धकार की पृष्ठभूमि पर अधिक सुस्पष्ट चमकता है। भागवद्गीता* द्वारा यह उद्घोषित है कि जब -जब संसार अज्ञान रूपी अन्धकार से भर जाता है, तो ईश्वर अपने संतों में से किसी एक संत को धरती पर भेजते हैं जो सदाचार को फिर से स्थापित करने के लिए मानव को उसकी चेतना का उत्थान करने का मार्ग दर्शाता है।

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14 SEP 2020 AT 18:04

हिंदी विकसित हैं, जानाँ

तुम्हें बस इतना करना है कि
तुम्हें अपने बच्चों को हिंदी पढ़ने हिंदी लिखने
हिंदी सुनने और हिंदी कहने के लिए
ना मारना है और ना मार खाने देना है।

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8 JUL 2018 AT 18:21

कलियों से प्रेम अतिसुन्दर है,
पर इतना भी न हो फूलों के खिलने में रुकावट हो,
कलियों की ही तरह प्रेम भी विकसित होना चाहिए,
जिससे वह फूलों को भी उसी तरह स्वीकार कर सके।

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मुफ़्त राशन से शासन में बने हैं दरिंदें,
विकसित भारत का शक्ल ज़रा देखिए ज़नाब!!

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