लखनवी अंदाज का कोई हो तो बताए,,
वाराणसी पान सा कोई हो तो बताए,,
प्रयागराज की जमीन सा पावन माटी हो जिसका,,
गोरखपुर धाम का कोई हो तो बताए,,-
वो नुक्कड़ वाली चाट तुम खिलाओगे क्या..?
वो कुल्हड़ वाली चाय तुम पिलाओगे क्या..?
वो बनारसी मीठा पान तुम मुझे चखाओगे क्या..?
वो मणिकर्णिका घाट की ब्लू लस्सी मुझे पिलाओगे क्या..?
वो बनारस का घाट तुम मुझे घुमाओगे क्या..?
वो शाम की गंगा आरती तुम मुझे दिखाओगे क्या..?
वो तुम्हारे B. H. U साथ मुझे ले जाओगे क्या..?
वो काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन मुझे कराओगे क्या..?
सुना हैं, बहुत खूबसूरत हैं वहाँ की गालियां, संग मेरे इश्क वहाँ फरमाओगे क्या..?
अरे वो ख़ूबसूरत बनारसी साड़ी तुम मुझे दिलओगे क्या..?
यूँ तो मैं कई दफा घूम चुकी हूँ, 'बनारस',
संग अपने एक बार फिर तुम मुझे घुमाओगे क्या..?-
तू गंगा आरती सांझ की,
मैं दशाश्वमेध का घाट सा !
तू बनारस का मीठा पान कोई,
मैं चटपटा बनारसी चाट सा !
तू गंगा की अविरल धारा हो,
मैं भोले की मंदिर का कपाट सा !
तू वाराणसी की विश्वनाथ गली सी,
मैं भी मंदिर काशी विश्वनाथ का !
तू मुसाफिर अस्सी घाट की,
मैं दो घूंट कुल्हड़ वाली चाय का !
तू तंग गली बनारस की,
मैं गोदौलिये के बाजार हाट सा !
तू करीम का गीता कोई,
मैं कार्तिक के कुरान सा !
मैं नज़्म बनूँ इश्क-ए- बनारस की,
तू बन जा काशी के ठाठ- बाट सा !-
15 बरस की लड़की 55 बरस के वृद्ध से ब्याही गई है
आज फिर वही प्रथा चलाई गई है।।
18 बरस की विधवा जिंदा जलायी गई है
आज फिर पुनर्विवाह को अफ़वाह बताई गई है।।
आज एक लड़की जबरस्ती ब्याही गई है
और यह रीत इस समाज द्वारा चलाई गई है।।
आज फिर एक लड़की यही
गांव के कोने में दफनाई गई है।।-
जिस बख़त तुम बनारस थे
मेरा तुमसे न कोई नाता था
न मुझे तेरे जैसा ख्याल भाता था
और भूले बिसरे राही
सी भेंट की भी न कोई गुंजाइश,
न कोई शाद आयी।
आज तुमने
उस गली कद़म रखा फिर
तो
सच कहो? मेरी ही
क्या सच में मेरी ही याद आयी।।-
चट्टान सी संवेदनाएं,
जब तजुर्बे की तपिश से पिघलती हैं...
स्याही जीस्त के पन्नों पर बिखरती है...
यूँ ही किसी की जिंदगी किताब नहीं होती !!-
वाराणसी का घाट हो,
गंगा के लहरों की आवाज हो,
मन में शांति और आनंद का वास हो,
और साथ में महाकाल का आशीर्वाद हो।
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बहती हैं नदियाँ, समंदर बहा नही करते !
गम को आसरा देने वाले,कुछ कहा नहीं करते !!
बहते हैं पत्ते, जड़ हवाओं संग बहा नहीं करते !
गिरने वाले नज़रों से,दिल में रहा नहीं करते !!
बहती है मिट्टी, चट्टान बहा नहीं करते !
मुश्किलों में मुस्कुराने वाले,कभी ढहा नहीं करते !!
बहते हैं जुगनू, आफ़ताब बहा नहीं करते !
मुँह चुराने वाले, जिंदगी से वफ़ा नहीं करते !!
बहती हैं आवाजें, अहसास बहा नहीं करते !
कोई सुनने वाला न हो तो, अफ़साना कहा नहीं करते !!
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