तू कर कोशिश मुझे रुलाने की, और मैंने अपनी मुस्कुराहट गिना न दिया तो कहना!
लाख कोशिश कर ले चाहे मेरी हिम्मत आजमाने की, तुझे अपना सब्र मैंने दिखा न दिया तो कहना!
कर कोशिश मुझे गिराने की, चाहे तो मुझे हराने की,
कौन हूँ मैं क्या कर सकती हूँ, तुझे फिर बता न दिया तो कहना!
देखा तो नहीं तुझे कभी बस महसूस ही किया है,
लाकर अपने शहर मगर, तुझे ख्वाहिशें करना सीखा न दिया तो कहना!
अगर पलकों पर अश्क और लबों की शिकायत को ही कहते हैं जीवन,
तो सुन ज़िन्दगी तुझे हरा न दिया तो कहना!
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