इक आब मेरे होने की
इक रात मेरे खोने की
दो छोरों के बीच की आकाशगंगा
बस
तुम से तुम तक।-
first cry on earth 31/08/1995🎂🎂
University of Allahabad
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मेरे ख्यालों में गुंथी
तुम कोई बात हो जाओ
टिमटिमाते तारों सी
कोई पूनम रात हो जाओ
संभालूं तुमको मलमल समझ मैं
तुम मेरे आँगन में
महकता पुष्प पारिजात हो जाओ। ।-
सबकी बातों को बेशक मान दो
इस दौर को अपनी इक शान दो
हर राह के राही से रास्ता रखो पर
सबसे पहले खुद को सम्मान दो।।-
ये पता है
न संगम होगा अपना
दो छोर ज़ुदा ज़ुदा इस तरह
इक रेत प्रयाग सी हुई
इक घाट बनारस हो गया।
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छनक पायलों की
झुंझलाहट में बदल गई
इश्क़, इश्क़ की चूनर धानी
सफैद कफ्न सी रंग गई
सावन में पतझड़ मिरे दरख़्त को लगा
के मुकाबिल होते होते राहें मेरी
नाकाबिल हमसफ़र सी हो गई।
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वो उसूल कैसा के
इक पल न लगे बदल जाने में
हमें अरसा लगा
इस उसूल को अपनाने में।।
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नयनों में नयना रह गये
राह ए रश सब ढ़ह गये
लब आगोश ऐ खामोशी में भी
अफ़साने सब कह गये।।
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मेरा प्रेमी अंचल छूट गया
मन,मन ही मन से रूठ गया
उर्मिल के से असास समेटे
कोई सितारा जैसे टूट गया।।
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वो हद से ज्यादा पुख्ता था
मैं बचपन से भी बचकानी
इश्क़ भी उसका नपा तुला
मेरी मुस्काने भी थी बेमानी
राहे मुहब्बत अश हो न कैसे
समा परवाने की जब मेल न खानी।
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