आदत से मजबुर हूं ,
तभी तेरे साथ हूं ।
दिल से कमजोर हूं ,
तभी बेवफाई का जवाब,
वफा से देती हूं ।।-
हाँ चुराई है तुमसे नजरे मैने आज
अब ये तुम्हारा दिदार भी करे इतना भी इन्हे हक नही...-
तुम्हें ऐसे तो
खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते
पुरानी मोहब्बत है हमारी,
की कुछ अपनी यादें साथ ले जाना..
इरादा कर लिया है तुमने
अगर सचमुच मुझसे बिछड़ने का
तो फिर अपने सारे
झूठे-सच्चे वादें तुम साथ ले जाना..
अगर थोड़ी बहुत भी बाक़ी है
मेरे नज्मों में तुम्हें दिलचस्पी
तो अपने साथ
मेरे नज्मों की किताब ले जाना..
अंदर अलमारियों में
चंद फटे पुराने पन्ने ही बचे है
तो तुम अपने साथ
मेरे ये बाक़ी तुम्हारे ख्वाब ही ले जाना..-
_तक़दीर_
वफा-ए-तक़दीर भी
मौज़ूद है दोस्त...
शीद्दत-ए-कोशिश का वज़ूद
तलाशकर तो देख...-
मुलाक़ात होगी, हसीॅं बात होगी
तुम इक बार बाहों में आकर तो देखो
हर तरफ़ बस मुहब्बत नज़र आएगी
ये नज़रें तुम हमसे मिला कर तो देखो...
सुकूं भी मिलेगा, नशेमन भी सजेगा
तुम वफ़ाओं की महफ़िल में आकर तो देखो
क्यूं डरते हो जानां कि धोखा मिलेगा
तुम अहद-ए-वफ़ा बस निभा कर तो देखो...
है गर शक़ ज़रा भी तुम्हें मेरी वफ़ा पर
तो ऐ जां मुझे आज़मा कर तो देखो
हम तुझमें ही तुझमें बस खोए रहेंगे
तुम एक बार मुझमें समा कर तो देखो...💞-
खता हुई हमसे तो आप वफा कीजिये ,
ख़ामोशी को हमारी आप दफा कीजिये ।
इल्जामों से ना तौहीन करना खफा होकर ,
हुई तकरार को प्यार से आप सफा कीजिये !!-
ख़ामोश हो गए वो पुरी महफ़िल में
जब सवाल सिर्फ एक उठा
कभी वफ़ा की हे ज़िंदगी में-
हर कहानी में मजनू मरता है लैला नहीं, मगर
सुना है लड़कों का इश्क़ वफा के काबिल नहीं
- ©सचिन यादव-
मर कर भी तुम्हें पाना हैं
साथ जी न सकी तुम्हारे
पर तेरी बाहो में
हमे खो जाना हैं-