कटींग चाय वाली शाम
अब उदास पड़ी है,
ज़िम्मेदारी वाली लोकल
हर एक ने पकड़ी हुई है!-
मुहब्बत है दिल में और जुनून फितरत में
अगर इतना ही जोश है तो चल शुरूआत नई कर-
स्वतंत्रता दिवस की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं ।
शहीदों को नमन हो
कोरोना योद्धाओं का सम्मान हो
लोकल पर वोकल हो
देश आत्मनिर्भर हो
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भीड़ लगा दिखलाएंगे
अगर मदारी खेल।
अपना हुनर दिखाएंगे
लोकल स्लीपर सेल।।
😢देखते रहना😢
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हम तो ठहरें लोकल बाबू, हमें इंग्लिश नही आती है।
ये देश विदेश की बातें, हमको समझ नही आती है।
शहर भी हम लोकल से आये, हमें लोकल बातें आती है।
अपनी तो मंजिल भी लोकल, सब कुछ लोकल चाहती है
देश भी मांगे लोकल अब तो, विदेशी समझ नही आती है।
प्रधान सेवक की अपील भी अब, विदेश से देसी बन जाती है।
लगता है कुछ जादू होगा, लोकल सब कुछ हो जाएगा,
मेरा प्यार तेरे बारे में, शायद कुछ कम हो जाएगा।
तुम ठहरी अंग्रेजी मेम, कैसे लोकल बन पाओगी
हमको तो लोकल ही चाहे, कैसे काम चलाओगी।।
हम तो ठहरे सरकारी बाबू, हम को लोकल जरूरी है।
प्रधान सेवक ने अपील की, अब तो हमारी मजबूरी है।
शिक्षा भी हम लोकल चाहे, ऑक्सफ़ोर्ड से दूरी हो,
लोकल के प्रसार के लिए, लोकल शिक्षा जरूरी हो।।-
ठैरावाच्या आयुष्याला "लोकल" च्या उदाहरणावरून गतीचे महत्व पटवून देते ती ही मुंबई ।।-
----◆◆ #एक #सफर◆◆---
----◆◆ #लोकल #ट्रेन◆◆---
आज नजारा मैंने एक लोकल ट्रेन का देखा था,,,,,
अपनों को समेट,, बैठे कुछ गैरों को देखा था,,
आंखों में नमी लिए खड़े थे कुछ वृद्ध और,,,
हारे हुए नौजवानों को सीटों पर बैठे देखा था,,
देखकर चकित रह गया में इस नजारे को,,
खुद को युवा कहने वालों को लज्जित हुए देखा था,,
समाज में मिशाल देते हैं जिस माँ की,,,,आज
कुछों ने उसे बेवस सामने खड़े देखा था,,,
क्यों अंधा हो गया है आज का युवा इतना,,,ए-दीपक,,,
जिसने खुद को नजरों में गिरते हुए नहीं देखा था,,,,
---- #दीपक #शर्मा-
लोकल, स्टेट, नेशनल खुफिया गुप्तचर विभाग की आँखे तब खुलती है। जब कोई बाहरी हमारे अपने छाती पर आकर बैठ जाता है। हमें चैलेंज करता है। इतनी हाई सुरक्षा किस काम की, जो हम अपनी जिम्मेदारियों को ही नही समझ रहे है। सिर्फ सरकारी सुविधाओ का लाभ उठा रहे है। बजाओ ताली।
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क्या शानदार बाउट थी,
क्या शानदार पंच प्रदर्शन,
लोकल का फायदा मिला उसे,
वरना गोल्ड हमारा ही था,
रहो हमेशा गोल्ड से प्रसत्र
😍😍🎉🎉🏅🏅✌️✌️-
कह कर निकल गया वो तो अपने दिल की बात
सैकड़ों बिजलियों ने बहुत देर तक मुझे घेरे रखा।।
दोनों अपनी अपनी राहों पर चल निकले मगर
एक दूजे को यादों ने चार चुफेरे रखा।।-