Amit Kumar Mishra   (अमित मिश्र (मुकुंद))
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Joined 17 February 2019


Joined 17 February 2019
29 SEP AT 23:13

नशा था उसकी बातों मे
हम खुद को दोष देते थे।
उसके हर धोखे को हम,
ख़ुशी समझ लेते थे।

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22 SEP AT 23:55

कुछ दुआओं का असर,
कुछ दवाओं का असर।
मन कितना भी भ्रमित हो,
फिर भी तुम बहला रही हो।
जिंदगी, तुम इतनी हसीन,
कैसे होती जा रही हो।
बेखबर सी रहकर भी,
सबको खबर सुना रही हो।
उलझने कितनी भी हो,
तुम सभी मे समा रही हो।
जिंदगी, तुम इतनी हसीन,
कैसे होती जा रही हो।।

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14 SEP AT 23:22

मिलो कभी, तुम यहाँ,
आओ कभी, इसी जहाँ,
ढूढो मुझे, यहाँ वहाँ,
मिलेंगे तुमको, सब जगह।
सजायेंगे तुम्हारे, सपनो को,
मिलाएंगे तुमसे, अपनों को।

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14 SEP AT 0:53

व्यथा मेरे मन की, कथा बन के रह गयीं,
औरों के फेर मे, अपनी ख़ुशी ढह गयीं।
विचार मेरे मन के, मन मे ही रह गए,
सही गलत का बोध, जीवन से थम गए।

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4 SEP AT 19:26

तुम मत मिलना हमसे,
ना देखना मेरी ख्वाहिशों को,
जिंदगी के हर मोड़ पर,
इंतज़ार फिर भी रहेगा।
तुम्हारा छोड़ जाना,
शिकायतों का अम्बार लगाना,
जिंदगी के हर मोड़ पर,
इंतज़ार फिर भी रहेगा।
सच से मुंह मोड़ जाना,
झूठ को ही अपनाना।
हर समय हमको,
बातों मे उलझाना।
जिंदगी के आखिरी मोड़ पर,
इंतज़ार फिर भी रहेगा।।

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5 AUG AT 0:15

मेरी उलझन को वो हर पल,
अपने परिचय से सुलझाती हैँ।
मेरी हर बातों का उत्तर वो,
संयम से दे जाती हैँ।
कितनी भी,आँखें बंद कर लो,
फिर भी वो, राह दिखलाती हैँ।
मेरी हर गलती पर मुझको,
एक नया सबक सिखाती हैँ।
कितनी भी कठिन ड़गर हो,
मेरी राह आसान बनाती हैँ।
कभी सोचता हूँ, मैं हर पल,
इनमे, कहाँ से बुद्धि आयी हैँ,
फिर मुझको अहसास हुआ कि,
प्रभु नें, मेरे लिए ही बनायी हैँ।।

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29 JUN AT 17:56

मेरे घर में एक प्राणी रहता हैँ,
वो अपने को पापा कहता हैँ।
खूब कमाता हैं हर दिन,
पर बदहाली में रहता हैँ.
हमें नये जूते दिलवाता,
खुद फ़टे जूते सिलवाता हैँ।
हमें महंगे कपडे दिलवाता,
खुद सस्ते लेकर आता हैँ।
हमें सौ रुपये खर्च को देता,
स्वयं दस दस रुपये बचाता हैँ।
हमारी जिद्द पूरी कर देता हैँ,
खुद जिद्द अपनी छोड़ आता हैँ।
हर बात पर बड़ा होने की,
सब पर धौन्स जमाता हैँ।
मेरे घर में एक प्राणी रहता हैँ,
वो अपने को पापा कहता हैँ।

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24 JUN AT 9:42

खुशियाँ तुम्हारे द्वार रहें,
खुशियों का अम्बार रहें।
महक तुम्हारे जीवन में,
हर पल बरकरार रहें।
दुःख तुमसे कोसो दूर रहें,
सुख की हमेशा बहार रहें।
जन्मदिन के उपलक्ष्य में,
यही प्रार्थना बरकरार रहें.
"जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाये"

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19 JUN AT 20:04

शब्दों में बात करते हैं,
मन से वो याद करते हैँ।
बिन मौसम जाने बिना,
वो बरसातों की बात करते हैँ।
शब्दों से घेरे रहते हैँ,
मन को वो फेरे रहते हैँ।
उलझन में उलझें रहके भी,
सिर्फ तेरे ही तेरे रहते हैँ।

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19 APR AT 22:31

मैं सीख रहा हूँ, खुद में जीना,
चुप चुप रहना, कुछ ना कहना।
क्या मेरी खामोशियाँ कभी,
तुमको रास आएँगी या कहीं ये भी,
गुमनामियों में खो जाएंगी।।

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