सत्येन्द्र कादियान   (©सत्येन्द्र कादियान)
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किसान और लाइब्रेरियन
Joined 27 April 2022


किसान और लाइब्रेरियन
Joined 27 April 2022

हैं संकटमोचन
सत्य के स्वामी
साहस में नहीं है खामी
हर परिस्थिति पर
रखते अपना लोचन
सयंम, सद्भाव हैं
उनके गहने
करे कोई 3-5 तो
बन जाते हैं त्रिलोचन
मुझे नहीं आवश्यकता
किसी कर्म-काण्ड की
कर लेता हूँ बस
उनका अनुमोदन

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लगा रहता है विकास में रातदिन
गाँव शान्ति से सोया रहता है
पीछे हों भले है कुछ नहीं तुम बिन

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करके भी क्या हुवा
हुवा वही जो
मंजूर-ए-खुदा हुवा
क्यों भ्रम पाले बैठे हो
तुम अपनी अकड़ का
जहाज से भले बचा लिया एक
जो खाना खाने बैठा था
वह भी जहां से विदा हुवा

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बड़ा चाँद लेकर
आती है आजकल
उसे भी पता है
तन्हाई में
कुछ तो हो
देखने लायक

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भावनाओं के आहत होने से
फिर यह मायने नहीं रखता कि
तुम सफ़लता के शिखर पर बैठे हो

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छोड़िए घमण्ड सारा
बिन बुद्धि नर मानो!
आसमान से टूटा तारा

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सभी को ज्ञान सुझाए
सब नर एक हैं
एक नारायण बताए
भगति बिन मुक्ति नहीं
नर विकारों में उलझा जाए
आडम्बर का करे खण्डन
कर्म ही पूजा बताए

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इंसानियत जिन्दा रखे अपनी
कुछ लौटाकर जाए जहां को
रखे दूरी उन कर्मों से जो दुर्जन करें

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जी रहा है
हर विवाहित यहाँ
देखो जीवनसाथी
कबतक जिन्दा रखे

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डर हमारे मन में रहता है
जब हम सामना करते हैं
डर भाग जाता है
अरे! भईया...
डर का मन करता है
मन डर से डरा रहे

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