इस शहर में नये तो नहीं थे हम
मगर वो मसला बहुत पुराना है
हम किराएदार थे वहाँ शायद
जहाँ अब तेरा मालिकाना है-
छोटी गलियों तक बड़ा बहाव आ रहा है
अरे..! सुना है आपने, चुनाव आ रहा है-
हर कदम पर हम वफाई लिखते रहे
हजारों दिलों की दुहाई लिखते रहे
अफ़सोस कि वो हकीम रहे उम्रभर
खुद बिमारी लिए दवाई लिखते रहे-
उस मुस्कराहट ने, मेरी हँसी उड़ा दी है
मौत को, तैयार ही थे, कि जिंदगी बड़ा दी है-
सारे ग़म को छुपाए चले जाते हैं
हम तुम्हारे अभी तक गिने जाते हैं
भूल का ,ये भरोसा भूल से हो रहा
माफ़ कर दो जरा हम मरे जाते हैं
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हर ह्रदय की भावना को हर दिशा में माप देंगे
साधना की कर सजावट दुष्टता को नाप देंगे
हो रहे अलगाव जितने और भी जो हैं विखंडन
हम धरा की इस परत को मित्रता की भाप देंगे-
याद के आलम पुराने स्वप्न को संजो रहें हैं
वक्त बीता था कभी वो आजतक भी खो रहे हैं
घूमकर देखा वहाँ तो उस जगह कुछ भी नहीं है
हर वजह की एक वजह है, बेवजह कुछ भी नहीं है-
नव वर्ष में नव नेति से , नेमि पर आधार कर लो
तुम जरा-सा वंचितों को देख करके प्यार कर लो
उपहार लाखों लुट रहें हैं घुल रहे हैं जाम में
तुम भला एक दस रुपये से नेह का व्यापार कर लो
चढ़ रहे हो तुम हवेली खूब ईश्वर हो सहायक
पर जरा-सा सामने उस झोपड़ी पर प्यार कर लो
पश्चिमी आकार से तुम बढ़ रहे हो ठीक सब है
पर जरा-सा खुद के घर में तुम जरा आकार कर लो
साल पूरा कट गया है, देह भी इस वार में है
गम पुराना छोड़ दो तुम, फिर नया व्यवहार कर लो
(नेति=अनंतता), (नेमि=पृथ्वी) (देह=शरीर)-
यूँ जो भीड़ में चिल्लाओगे, क्या मिलेगा तुमको
तुम अकेले इशारा करते, तो कोई बात बनती-
हमें तो यहाँ प्यार भी शर्तों में मिला
पहले ढेर सारा फिर किश्तों में मिला-