अंधेरों से निकल के तेरी यादो से मैं लड़ गयी
रौशनी का संग पा के टूट के भी संभल गयी-
वो तो बरसात सी आयी थी
हर बूंद में जिंदगी संग लायी थी
पर उसका जाना तो तय था,
कमबख्त गलती तो हमारी है
उसके आने से रोशनी क्या मिली
हम उसे सूरज की किरणे समझ बैठे।-
ज़िंदगी की जुस्तजू में तू ज़िंदगी बन जा,
ढूंढ मत अब रोशनी, ख़ुद रोशनी बन जा!
रोशनी में रोशनी का क्या सबब, ऐ दोस्त,
जब अंधेरी रात आए, तू चांदनी बन जा!
कशमकश में हैं गर तो तू निकल इससे,
तब तू मेरी जिंदगी की जरूरत बन जा!
हर तरफ़ चौराहों पे भटकती तुम क्यों हो,
तुमको अपनी सी लगे, तू वो गली बन जा!
कुंओं में जीते हुए सदियां कई गुजर गई,
क़ैद से बाहर निकल, तू धड़कन बन जा!
गर शराफ़त में नहीं हो पानी का कोई ढंग,
बादलों की तर्ज़ पर तू आवारगी बन जा!
बहुत जी लिया तुमको ख़्वाबों में ऐ 'राज' __Mr Kashish
बस..... एक बार तो तू हकीकत बन जा!-
कुछ काम कुछ ख़ुशनसीब लोगों के नाम होते है
पाप तो रोशनी में होते है अँधरे यूँही बदनाम होते है-
है ही नहीं कोई खुश
किसी के घर की रोशनी से
मैंने अपने घर का चिराग़
तूफानों से बचाकर रखा है-
तेरी छत से दूर क्या हुई दुनिया मेरी,,
कई खिड़कियों की रोशनी मुझे छू कर गुज़रने लगी है !!
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कभी--कभी दुआ भी वापस आ जाती है...
जैसे किसी चीज का कर्ज न मिला हो उसे.....(1).
कभी--कभी रोशनी फीकी सी लगती है...
जैसे अंधेरो से रिश्ता बन गया हो.....(.2)
कभी--कभी लोग खुद को कुछ ज्यादे ही समझ लेते है,,दुसरो का एहसान भूलकर,,
जैसे इनके जैसा कोई महान है ही नही...
कभी--कभी जहर भी अमृत सा लगता है...
जैसे कड़वाहट मिठास में बदल गयी है...
What i m writting,, i do not know myself just got it written down😜😜
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जलनेवाला हर चिराग रोशनी नहीं देता,
कुछ चिराग जलनेपर अपने भीतर की रोशनी भी बुझा देते है।-