"मैं" और "तुम"
(full in caption)-
नहीं!
वरमाला तो नहीं हुई हमारी
पर हाँ!
मैंने अपने गले की रुद्राक्ष माला
एक बार उनके गले में जरुर डाली थी
क्या अब भी हम दोनों की रूह
कंवारी हैं?
- साकेत गर्ग 'सागा'-
जैसे मेरे शिव के
अश्रु से उपजे ये
रुद्राक्ष हाँ यहीं
जो तुमनेअपने
हाथों में धारण
कर रखें हैं....
(अनुशीर्षक में पढ़े )-
Mahakaal_के_भक्तो_से #Panga_और_भरी महफील_मे #Danga मत_करना_वरना_चोराहे पे Nanga_और #अस्थियो_को_ganga_में #बहा दूंगी....-
मैं अपनी कहानी का किरदार बना लूँ तुम्हें...
तुम कहो तो रुद्राक्ष सा गले पर सजा लूँ तुम्हें...
दोस्ती ठीक है पर मोहब्बत में ये हक़ होगा
जी में आये तो देर रात छत पर बुला लूँ तुम्हें...
देखू,चाहूँ,छू लूँ तुम्हें और कोई रोके ना मुझे
क्यों ना घर के आँगन में तुलसी सा लगा लूँ तुम्हें...
तुम जब बाँहों में सिमटते हो तो ये डर आता है
बाँहों में कसने की चाह में कही मार ना डा लूँ तुम्हें...
जब इन दुनिया के थपेड़ो से बिखरो तुम
हर लम्हा,हर पल मैं आगे बढकर संभा लूँ तुम्हें...
मोहब्बत में मेहबूब रूठ जाए तो कहाँ होश रहता है
लगता है अभी मर जाऊं और मर के मना लूँ तुम्हें...-
भस्मभाल सिंगार लिख दो और सुत्र बांध महारूद्राक्षम् बैराग फूँक कर्ण मध्य फिर रंग चूनर का शंकरा लिख दो
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