QUOTES ON #रश्मिरथी

#रश्मिरथी quotes

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17 FEB 2019 AT 21:03

जब माँ उसे कर देगी त्याग
जात धर्म हो जाए अभाग,
जो अकुलाए उस कर्ण को
उसके सीने स्वर्ण को
न मिले आदर न वास,
कर्ण किससे रखे आस?
सूत पुत्र होने पर जो
वो हास्य, घृणा का पात्र हो
तो दुर्योधन आएँगे
कर्ण कौरव होते जाएंगे।
कर्ण कौरव होते जाएंगे।

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24 APR 2019 AT 15:38

कविता वह सुरंग है जिसमे से गुजर कर मानव एक संसार को छोड़कर दूसरे संसार में चला जाता है।

~ दिनकर जी ✍️

हे शब्दों के सूरज आपको शत शत नमन 🙏💐

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आभार 🙏

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11 JAN 2021 AT 6:50

झर गई पूंछ, रोमांतर झरे,
पशुता का झरना बाकी है,
बाहर- बाहर तन संवर चुका.
मन अभी संवारना बाकी है।


(रामधारी सिंह दिनकर)
(रश्मिरथी)

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4 JAN 2018 AT 8:49

मुझ से मनुष्य जो होते हैं
भावों के पीछे रहते है
नहीं देते कभी उन्हें बिखरा
खामोशी से सहेज लेते हैं

होकर भावों के अधीन
बनता है मन पराधीन
कैसे होगा फिर कोई सुख
जब खुद को ही खो देते हैं

उड़ते है हर पल यादों में
माया उन्हें जकड़ती है
तन को कर लेते है दूर
पर मन उड़ान भर लेती है!

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4 FEB 2020 AT 21:00

बात जब खुद पर आई कर्ण देने लगा धर्म की दुहाई,शायद भुल गया था वीर अभिमन्यु की बारी ...

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25 JAN 2020 AT 18:03

"धँस जाये वह देश अतल में,गुण की जहाँ नहीं पहचान
जाति-गोत्र के बल से ही आदर पाते हैं जहाँ सुजान"

:-रामधारी दिनकर (रश्मिरथी)

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4 NOV 2021 AT 23:14

THE GREAT RASHMIRATHI

लेकिन, नौका तट छोड़ चली,
कुछ पता नहीं, किस ओर चली।
यह बीच नदी की धारा है,
सूझता न कूल-किनारा है।
ले लील भले यह धार मुझे,
लौटना नहीं स्वीकार मुझे।

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18 MAR 2021 AT 0:54

मृतको से पटी हुई भू है।
पहचान, कहाँ इसमें तू है।।
-रामधारी सिंह दिनकर
( रश्मिरथी )

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23 SEP 2020 AT 12:33

रश्मिरथी से:

दान जगत का प्रकृत धर्म है, मनुज व्यर्थ डरता है,
एक रोज तो हमें स्वयं सब कुछ देना पड़ता है ।
बचते वही समय पर जो सर्वस्व दान करते हैं,
ऋतु का ज्ञान नहीं जिनको वे देकर भी मरते हैं ।

श्री रामधारी सिंह दिनकर-

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