#hindi_ki_ khanak   (© hindi_ki_khanak (avadhesh))
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Joined 3 December 2019


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YESTERDAY AT 13:02

किसी ने, किसी से कहा
लिखकर हाँसिल करेगा क्या....????
फिर उसी किसी ने, किसी से कहा
लिखना ही हाँसिल है मेरा.......

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27 APR AT 17:12

जब वो गुस्से में होती है ..........
मैं कभी नहीं बोलता की .....
चाय की तलब है मुझे
बना दोगी ......????

भरोसा नहीं.......
कहीं जहर मिला दिया तो..............?????

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24 APR AT 13:40

मिली एक सतरंगी पंखोँ वाली तितली मुझे
पंखोँ को पूरा फैला,कसकर गले लगाया मुझे
उसके पंखोँ के सारे रंग जा मिले मुझमे
उसकी खुश्बू जा घुली मुझमें
मेरे जख्मों को मिली मलहम सी
मेरा थका-निढाल सा जिस्म फिर से पहाड़ हुआ
विशाल,दृढ़, उन्नत,और आकाश हुआ
मैं फिर जिन्दा हुआ, जागा गहरी नींद से
मन के बगीचे में खिले सैकड़ों फूल
फूले फल मीठे-मीठे
सुन ओ!...... मेरी तितली
मैं चाहता हूँ...................
तू मंडराती रहे निर्बाध,निडर,नादान
इसी बाग़ में
मेरे अंत होने तक.................

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24 APR AT 13:38

मिली एक सतरंगी पंखोँ वाली तितली मुझे
पंखोँ को पूरा फैला,कसकर गले लगाया मुझे
उसके पंखोँ के सारे रंग जा मिले मुझमे
उसकी खुश्बू जा घुली मुझमें
मेरे जख्मों को मिली मलहम सी
मेरा थका-निढाल सा जिस्म फिर से पहाड़ हुआ
विशाल,दृढ़, उन्नत,और आकाश हुआ
मैं फिर जिन्दा हुआ, जागा गहरी नींद से
मन के बगीचे में खिले सैकड़ों फूल
फूले फल मीठे-मीठे
सुन ओ!...... मेरी तितली
मैं चाहता हूँ...................
तू मंडराती रहे निर्बाध,निडर,नादान
इसी बाग़ में
मेरे अंत होने तक.................

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2 APR AT 6:37

मैं गाँव से लौटते वक़्त इतना उतावला सा हो जाता हूँ
की भूल जाता हूँ कई चीजें अपनी
गाड़ी में पानी की बोतल रखी या नहीं,टीशर्ट- चार्जर - घड़ी
छूट जाते हैं कुछ ना कुछ, पता नहीं कहाँ भागता जाता है मन

जी इतना भारी-भारी हुआ रहता है की उस समय कुछ बोला ही नहीं जाता
बहुत कुछ बोलने सुनने का मन होता है लेकिन लगता है जो कुछ बोला तो
रो पड़ूँगा फुट-फुट कर

हिम्मत नहीं होती मम्मी की और देखने की
जो दरवाजे पर खड़ी होती है अपने पल्लू से भीगी आँखें पोंछती हुई
हिम्मत नहीं होती पिताजी को देखने की जो कुछ ना कुछ हिदायत देते रहते हैं
अंत तक, चबूतरे पर लगे पीपल के पेड़ के पास रुआँसे से खड़े हो

मैंने बारह बरस की उम्र में ही घर छोड़ दिया था लेकिन पहले
ये महसूस इतना नहीं होता था,अब होता है
बचपन हमें रोने की आजादी देता है और
जवानी...... बस समझदारी और मन ही मन घुटने की बाध्यता.....

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19 MAR AT 16:54

कभी तेरे ख्याल में,कभी तेरे ख्वाब में
मैं वँही हूँ तेरे साथ
हर पल- हर वक़्त......
कभी एहसास में, कभी बयार में
मैं वहीँ हूँ तेरे साथ
हमेशा-हरदम.......
मेरे बच्चे! तू उदास मत हुआ कर
तू रोया मत कर.............
तेरे ये आँसू...............
निचोड़ देते हैं मेरा जर्रा-जर्रा

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8 MAR AT 16:28

मैं...........
कहीं भी,कोई भी,किसी भी.....
शहर-कस्बे-कूचे-गली-चौबारे क्यूँ ना चला जाऊँ
रहता अपने गाँव में ही हूँ, मानसिक रूप से
हाँ मैं नागरिक नहीं.......
ज़रा भी नहीं.........

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28 FEB AT 10:03

दिल चाहता है......
हर आधे घंटे बाद
चाय खुद आकर बोले मुझसे.....
पी लो ना मुझे...........

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23 FEB AT 10:15

गाँव से लौटते वक़्त
मैं इतना उतावला सा हो जाता हूँ की क्या-क्या करना है
भूल ही सा जाता हूँ
गाड़ी में पानी की बोतल रखी या नहीं,फ़ोन का चार्जर, घड़ी और पर्स
पता नहीं मन कहाँ-कहाँ भागता है,अजीब-अजीब से ख्याल आते हैं
उस समय कुछ बोल ही नहीं पाता,गला रुंध सा जाता है
लगता है की बोलने भर से तूफ़ान सा आ जाएगा
भावनाएं जो दबाए बैठा हूँ मुश्किल से बह निकलेंगी पलकों के कोनों से

मैं नहीं देखता माँ को, जो दरवाजे के पास खड़ी
अपने आँसू पल्लू से पोंछती है बार-बार
मैं नहीं देखता पिताजी को जो रुआँसे से खड़े रहते है
मकान के बाहर लगे पीपल के पेड़ के पास

हिम्मत ही नहीं जुटा पाता लाख चाह कर उनकी तरफ देखने की
और चल देता हूँ अनजान-अजनबी से शहर में
तेरह बरस की उम्र में मैंने छोड़ दिया था घर पढ़ाई के लिए
उस समय महसूस नहीं होता था ये सब लेकिन अब होता है,

बचपन आपको रो देने की आजादी देता है
और जवानी और समझदारी......
बहुत ज्यादा ही समझदार बना देती है.........

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16 FEB AT 22:43

ये धरती मौन सी रहती है बादल के बरसने पर
पेड़ नहीं कहते कभी कि उन्हें बसंत का इंतजार है
पहाड़ भी नदियों से कुछ नहीं बोलता कटान होने पर
मैं भी नहीं कहता कि मुझे तुमसे कितना प्रेम है
पता है......इन्हीं अनकही बातों में
छुपी होती है सबसे खूबसूरत बात.....
सबसे प्यारी बात.........

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