ऐ मेरे रंगरेज़ मुझ पे इतनी इनायत कर दे ना
मेरे कोरे दुपट्टे को तू रंगो से अपने भर दे ना-
क्षितिज का वो आख़िरी सितारा भी सर्द हो चला,
मौला ! मेरे हिस्से की धूप तू उसे क्यूँ नहीं दे देता ।-
जो रंग-ए-हिना तलाशते रहे मेरी हथेलियों पे,
कि हाथों से उनके भी अब स्याही टपकती थी,
यूँ बैठे बिठाए रंगरेज़ कह जाए कोई तो क्या कीजे।-
तुम्हारे प्रेम की बहार ने ,
अपने ही सजे रंगों से ....
प्रेम बसंत के पुष्प खिला दिए ,
उम्मीदों के बीज में ....
नेह सुरभि की सांरगी पर ,
प्रेम धुन के गीत सजा दिए ....
ओढी हुई चुनरी में ,
प्रेम पंख लगा दिए ....
खुद को मेरा प्रेम ब्रह्माण्ड
मुझे तुम्हारी रगो में बहती
चंचल हवा बना दिया ....
कैसे रंगरेज बने हम दोनों पीया ....
खुद से खुद के लिए , एक दुजे की ...
जमीन-आसमां बना दिए !!!!!-
'रंगरेज़' ने रंगा कुछ ऐसी अदा से मुझे
बस रंग ही रंग, रंग ही रंग, रंग ही रंग है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
साँसों का शोर, आहों की गूंज
इश्क़ का ऐसा तिलिस्म हो जाए
महक उठे जुनून-ए-वस्ल से हम
होंठ मेरे रंगरेज़ बने,
किरमिच तेरा जिस्म हो जाए-
सुन रे ओ रंगरेज़ रंग दे मुझे सुर्ख़ रंग से
माँ को मेरा ज़र्द चेहरा अच्छा नहीं लगता।।-
इस हद तक रंग चुके है उनके रंग में
कि पता नही कब रंग अपना गवां दिया
अभी तक उनकी मुस्कान के रंग में रंगे थे
आज उनकी यादों ने बेशुमार रंग चढ़ा दिया
हाँ, इस कदर इस नाचीज़ को उन्होंने
अपने प्यार का रंगरेज बना दिया..-
तुझे लफ्ज़ों से करके मोहब्बत,
आँखों से गले लगा लूँ
दिल की सीप में बंद कर मोती एक,
ज़िन्दगी के समंदर में छिपा लूँ-