अगर आपको लगता है "अंग्रेज़ी" आपकी भाषा को खा रही है तो इसका अर्थ हुआ या तो आपकी भाषा कमज़ोर है या
आप इतने कमज़ोर हैं कि अपनी भाषा को समृद्ध नहीं कर सकते ।-
एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती फ़ितरत...
उ... read more
मुफ़लिसों को निवाला देता तस्वीर रख लेता हूँ ।
सुना है ख़ुदा ऊपर नेकी का सबूत माँगता है ।-
मेरी नील मोहब्बत पर
स्याह तिमिर सा बिखर जाना
या तप्त रेत कणों पर जैसे
आकुल समंदर सा लिपट जाना ।
मृदुल मन अरिकंचन पर
तुम हर बूँद फिसल जाना
या ओंस बूँद शीतल जैसे
पुष्प पारिजात पर मचल जाना ।
अग्निपीठ धरा पर
सहस्त्र कोस दरक जाना
या प्यासे मरु में जैसे
तरुण भादो सा बरस जाना ।
मेरी नील मोहब्बत पर
स्याह तिमिर सा बिखर जाना
या मेरी नील मोहब्बत पर
नूतन शशि सा निखर जाना ।-
क्षितिज का वो आख़िरी सितारा भी सर्द हो चला,
मौला ! मेरे हिस्से की धूप तू उसे क्यूँ नहीं दे देता ।-
"मरना " एक दुःखद क्रिया है ।
फिर चाहे "अपनों " का हो या "सपनों " का ।
-
प्रेम
- - - -
एक संवाद है आत्म समर्पण का । प्रेमी माध्यम । प्रेम की सफलता इसके "पाने" या "खोने" में नहीं इसके "होने" मात्र में हैं । अक्सर लिखा जाता है असफल प्रेम या असफल प्रेमी । प्रेम कुरु राज्यसभा में लगी चौसर नहीं, कि सफल या असफल हुआ जा सके । न ही राजा पुरु के झेलम-चिनाब का भूभाग जिसे कोई सिकंदर जीत सके । हाँ पर प्रेम पूर्ण या अपरिपूर्ण हो सकता हैं । इसके कई रूप हो सकते है जो विभाजित हो सकता है एक से अधिक लोगों में । पर प्रेम या प्रेमी कभी सफल या असफल नहीं होता है। प्रेम तो "होने" या "ना होने" की एक विधा है ।
-