मै नीर भरी दुख की बदली
दर्द दिल में है मेरे जो बसा
ना कहा ना समझा राज जैसा
दिल कितना रोज रोया रे
नितदिन मै खोजने निकली
आयी गाते गीत वो दर्दभरा
गम में कहे मुस्कुरा मन जरा
जाये बगीया मन की खिल
चली हर दिन ना खुद से मिली
जिंदगी के साथ में है मेरा आना
आँखोंमे आसू लाने है आना
मिल जाये कुछ जो जीवन में
रोतेे एकदिन लगे खुशी मिली
कब होगा जिंदगी मे सुख का आना
वो गम चाहे मुझसे दूर होना
दूर होगा अंधेरा एकदिन यही
मुस्कुराकर तब में लौट चली
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मैं नीर भरी दुख की बदली!
समेट के दर्द को टुकड़ों में
कुछ आहों और आंसुओं में
कुछ मिलन विरह की रस्मों में
स्मृतियों का भार ले उठा चली
हो तुझे मुबारक मौन प्रिय
दुख का साथी कौन प्रिय
तुम ढूँढो नए गुलशन राही
मैं जोगन सी फिरूँ ले डफ़ली
कुछ धुँधले-धुँधले लफ़्ज़ों में
रहोगे तुम मेरे अंतरतम में
नहीं मिट पाएगी कभी छवि
तड़पेगी ये जल बिन मछली
अधूरा सा ये किस्सा हमारा
है बाकी कुछ हिस्सा हमारा
लकीरों में नहीं था जो कभी
मैं उसे ही लिखती थी पगली
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मैं नीर भरी दुख की बदली,
मैं अनजानी,अलबेली,पगली,
मेरे आने से सभी बजाते है डफली,
सभी की खुशियों की चाबी मैंने अपने पास रख ली,
वेदना है मेरी ऐसी,
जैसे नीर बिन मछली ।
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मैं नीर भरी दुःख की बदली,
बरसी बस और आगे चल दी,
बरसों से जो सूखी ज़मी थी,
आज वहाँ हरियाली कर दी,
तड़पत हु मैं विरहा मैं जैसे,
जल बिन तड़पे कोई मछली,
दर्द मेरा जाने ना जाने कोहू,
मेरे श्याम की मैं ऐसी पगली,
अब आके तूं समेट ले मुझको,
कबसे बिखरी पड़ी हूँ मैं बेदर्दी।।-
मैं सूरज की किरण की सहेली
धूप खेले मुझ संग आँख मिचौली,
फिर भी शाम में हो जाऊँ अकेली,
मैं नीर भरी दुख की बदली!
मुझे चाँद सितारें कहते है सहेली,
बादल कहता है मुझको पगली,
फिर भी रात में हो जाऊँ अकेली,
मैं नीर भरी दुख की बदली!-
मैं नीर भरी दुःख की बदली
बरसूँ तो आह ना बरसे तो पीर उठे
तुझे सोच सोच मैं हुई पगली
खुली आँखों में भी बस ख़्वाब दिखे
हर आहट बजे मन की ढफ़ली
उनींदे से नैन खुले बस तेरी राह तके
तड़पूँ ज्यूँ कि जल बिन मछली
बिन तेरे कौन जाने कब ये साँस रुके
लगे जैसे कोई ख़ुद ख़ुशी कर ली
इस विरह की आग में जां भी निकले
तेरे जुल्मों सितम देख सारे सह ली
इंतज़ार है कि कभी तेरा दिल भी पिघले
मैं नीर भरी दुःख की बदली
बरसूँ तो आह, ना बरसे तो पीर उठे-
Are you sure,
We are not into each other any more..??
Really...??
You know yesterday I met a boy
He looked "like" you, I thought
and then I really looked at him.. He was far away...
He spoke words "like" you and then I really listened to him..
His name, his color, his look, the beard.... All like you...
And all far away......
Just like today..,
I meet "YOU" thousand times in thousand faces every day..!!
And you know..
All like you "far far away"...!!-
💕💕"मैं नीर भरी दुख की बदली"💕💕
हे कान्हा मैं नीर भरी दुख की बदली,
तड़पती विरह में तेरी ही दिन रात
जैसे जल बिन मैं मछली,
कान्हा एक एक याद तुम्हारी जब से
मैंने अपने इस दिल में जो रख ली,
तबसे आवारा आवारा सी फिरती
बन कर मैं पगली,
वन वन झूमती नाचती गाती
बजाती अब मैं डफ़ली,
देखो मेरा प्रेम हृदय में
केवल तुम्हारे लिए ही असली,
हे कान्हा जो भूल हुई भूल जाओ
अब प्रीत की रीत निभाओ अगली !!❤
"मेरे शब्द"✏🙏
दीपा कांडपाल😊🌹
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में नीर भरी दुख की बदली
तू भोली नन्ही सी मछली ।
दानों को देख तू यूं मचली
नैनों में तेरे वो खुशी उछली ।
कुछ भी हो , तू मत डरना
कर प्रयास तू दम भरना
होगा तुझको खुद ही उभरना
सागर को जान मत बन पगली ।
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